हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण में 88 पार्कों के सौंदर्यीकरण घोटाले की सूचनाएं छिपाने पर सूचना आयोग ने सहायक अभियंता पर ठोका 5 हजार का जुर्माना
हरिद्वार/ कालू।
उत्तराखंड सूचना आयोग ने हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) के सहायक अभियंता पर सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई शहर के 88 सार्वजनिक पार्कों के सौंदर्यीकरण कार्यों से जुड़े घोटाले के विवरण छिपाने और अपूर्ण-असत्य सूचनाएं देने के खिलाफ की गई है। आयोग ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सख्ती दिखाते हुए नोटिस जारी किए और अपील निस्तारण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
सूचना आयुक्त दिलीप सिंह कुंवर ने दूसरी अपील संख्या 4080/2025 का अंतिम निस्तारण करते हुए सहायक अभियंता श्रीमती वर्षा को दोषी ठहराया। आयोग के आदेश के अनुसार, श्रीमती वर्षा ने अपूर्ण और असत्य सूचनाएं प्रदान करने में लापरवाही बरती, जिसके चलते धारा 20(1) के तहत 13 फरवरी 2025 को स्पष्टीकरण मांगा गया था। बाद में 4 जुलाई 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी कर प्रतिदिन 250 रुपये के हिसाब से 25,000 रुपये तक जुर्माने की चेतावनी दी गई। अंततः 9 सितंबर 2025 को जारी आदेश में 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
आयोग ने निर्देश दिया है कि यह राशि तीन माह की अवधि में राजकोष में जमा की जाए। यदि समय पर जमा न की गई, तो प्राधिकरण के सचिव द्वारा आरोपी के तीन माह के वेतन से तीन किश्तों में कटौती कर जमा करवाया जाएगा।
आयोग ने प्रथम लोक सूचना अधिकारी (एफएलओ) और रिटायर्ड उद्यान अधिकारी आशा राम जोशी की कार्यशैली की घोर निंदा की है। इसके अलावा, तत्कालीन सचिव और अपीलीय अधिकारी उत्तम सिंह चौहान (वर्तमान अपर आयुक्त प्रशासन, गढ़वाल मंडल) की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया गया। धारा 20(2) के तहत 4 जुलाई 2025 को जारी नोटिस में उनकी लापरवाही पर सवाल उठाए गए थे।
उत्तम सिंह चौहान ने स्वयं सूचना आयुक्त के समक्ष पेश होकर अपील निस्तारण में हुई गलती के लिए क्षमा याचना की। 9 जुलाई 2025 को उन्होंने प्रतिकूल प्रविष्टि वाले नोटिस को निरस्त करने की प्रार्थना की, जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया।
यह मामला राष्ट्रीय सूचना अधिकार जागृति मिशन के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद्र शर्मा द्वारा 5 जनवरी 2024 को दाखिल आरटीआई आवेदन से शुरू हुआ। शर्मा ने प्राधिकरण से चार बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी थीं, जिनमें शहर के 88 सार्वजनिक पार्कों के सौंदर्यीकरण पर हुए खर्च का विवरण, इन पार्कों के भू-स्थलों का पता, स्थाई मालियों, उद्यान निरीक्षकों व अधिकारियों की सूची शामिल थी।
विशेष रूप से, उन्होंने शंकराचार्य चौराहे से हर की पौड़ी मार्ग किनारे ढलान पर बने पार्क का जिक्र किया, जहां 11 लाख 48 हजार रुपये की लागत से कार्य कराया गया। इसमें 2 लाख रुपये से ग्रील बाउंड्री, 2 लाख से मिट्टी का टीला और 7 लाख से फूल-पौधे लगाए गए। यह पार्क 17 मई 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उद्घाटित किया गया था। शर्मा ने सभी सौंदर्यीकृत पार्कों की अद्यतन स्थिति, विशेषकर घासविहीन और सूख चुके पार्कों की जानकारी मांगी, साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटित पार्क की बदहाली के फोटोग्राफ भी संलग्न किए।
हालांकि, प्राधिकरण ने इन सूचनाओं को नियमों के अनुसार समय पर प्रदान नहीं किया, जिससे आरटीआई प्रक्रिया में विलंब हुआ। शर्मा ने पार्कों में सौंदर्यीकरण कार्यों के दौरान हुए कथित घोटालों की जांच और जुर्माना लगाने की पैरवी सूचना आयोग में जनहित में की। उन्होंने आरोप लगाया कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद अधिकांश पार्क अब बदहाल हो चुके हैं, जो सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।
रमेश चंद्र शर्मा ने कहा, “आरटीआई अधिनियम नागरिकों का हथियार है, जो भ्रष्टाचार उजागर करने में सहायक सिद्ध होता है। प्राधिकरण की ओर से सूचनाएं छिपाना लोकतंत्र के लिए खतरा है। यह फैसला अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी है।” सूचना आयोग का यह कदम पार्क सौंदर्यीकरण घोटाले की गहन जांच की मांग को बल देता है, जहां फंड के दुरुपयोग और घटिया निर्माण की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।




















































