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सनातन संस्कृति के संस्कार और मानव मूल्य पूरे समाज में हों स्थापित  गुरमीत सिंह

सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा पंजाब के शताब्दी महासम्मेलन में राज्यपाल ने शिक्षक-शिक्षिकाआें और मेधावी छात्रों को किया सम्मानित

हरिद्वार।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने रविवार को सप्तऋषि आश्रम सप्त सरोवर में सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा पंजाब के शताब्दी महासम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। राज्यपाल ने शताब्दी महासम्मेलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा पंजाब अपना शताब्दी वर्ष मना रही है। उन्होंने कहा कि संस्था ने 10 वर्ष के इतिहास में धर्म के प्रचार, शिक्षा के विस्तार, संस्कृति के संरक्षण, समाज के कल्याण और राष्ट्र के उत्थान में अपनी निष्काम सेवायें देते हुए समय—समय पर अपने योगदान से इसे प्रमाणित भी किया है।
राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। एसडी कालेज अंबाला के छात्र-छात्राआें ने सरस्वती गान और राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी। श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर देशबंधु ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए सभा के कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की संयोजक डा. भारती बंधु ने राज्यपाल  गुरमीत सिंह का जीवन परिचय प्रस्तुत किया।
राज्यपाल ने कहा कि सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा ने अपने शताब्दी वर्ष में सात राज्यों की सनातन धर्म सभाआें और शिक्षण संस्थानों के सहयोग से वर्ष भर अनेक प्रकार के धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राष्ट्रीय समारोहों का आयोजन किया और सनातन धर्म के लोक कल्याणकारी स्वरूप को जन—जन तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया। भारत रत्न पण्डित महामना मदन मोहन मालवीय का जिक्र करते हुये राज्यपाल ने कहा कि महामना मालवीय ने जिस महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा की 1923 में स्थापना की थी, वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में पूरी तरह से सफल रही। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सभा ने शिक्षा के व्यापक स्तर पर विस्तार के लिए देश के उपेक्षित और पिछड$े क्षेत्रों में स्कूल और कालेज के स्तर की अनेक सनातन धर्मी शिक्षा संस्थाएं खोलने का महान कार्य किया। आधुनिक युवा पीढ$ी को शिक्षित करने के साथ—साथ उन्हें संस्कारी और जिम्मेदार नागरिक बनाने में बहुत बड$ी भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने कई चुनौतियों का सामना किया और यह धर्म हमेशा अटल रहा। इसका अस्तित्व कायम रहा क्योंकि सनातन संस्कृति और सनातन धर्म मानव कल्याण तथा वसधैव कुटुंबकम की बात करते हैं। सनातन धर्म बहुत विस्तृत सोच और विचार का धर्म है।
राज्यपाल कहा कि संस्था द्वारा अपने अंतरंग संस्था श्री सनातन धर्म शिक्षा समिति के सहयोग से सनातन धर्म के स्कूलों और कालेजों में नैतिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना, समाज और राष्ट्र के प्रति जवाबदेह, सच्चे और श्रेष्ठ नागरिक बनाना बहुत ही सराहनीय कदम हैं। राज्यपाल ने सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने अपने शताब्दी वर्ष में शिक्षा संस्थाआें के श्रेष्ठ प्राचार्यों, प्राध्यापकों और शिक्षकों को सम्मानित करते हुए यह प्रकट किया कि वह सच्चे अर्थों में ही सनातन संस्कृति के आचार्य देवो भव के मूल मंत्र को समाज में फैलाकर शिक्षकों के सम्मान का संदेश समूचे समाज को दे रहे है। उन्होंने इस मौके पर आह्वान करते हुये कहा कि विभिन्न प्रदेशों के शिक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालयों के मेधावी छात्रों तथा अन्य गतिविधियों में उत्कृष्ट भूमिका निभाने वाले छात्रों आदि की एक एेसी अमृत पीढ$ी को तैयार करना है, जो आने वाले वर्षों में देश के कर्णधार बनेंगे, जो देश को नेतृत्व और दिशा देगी।
राज्यपाल ने कहा कि एेसे ज्ञानी गुरुआें के बल पर ही हमारे राष्ट्र को विश्व गुरु बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज भी शिक्षकों का दायित्व है कि वे उसी निष्ठा से विद्यार्थियों का भविष्य निर्माण करके देश का भविष्य संवार सकते हैं और भारत को विश्व गुरु के रूप में पुन: स्थापित करने  में महती योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज जो युवा कालेज और यूनिवर्सिटी में हैं, उनके करियर को भी अमृत काल के यही 25 साल तय करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि  विकसित भारत युवाआें के सामथ्र्य, जोश, और कठिन परिश्रम पर निर्भर करेगा।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में कहा कि हमारी वैदिक सनातनी संस्कृति के संस्कार और मानव मूल्य पूरे समाज में स्थापित हों, समाज में आपसी सद्भाव और समरसता स्थापित हो और हम मिल जुलकर अपने समाज और राष्ट्र की भरपूर सेवा कर सकें यही हमारी कामना है। कार्यक्रम का संचालन डाक्टर नंदकिशोर शर्मा ने किया। सभा के महामंत्री उपेंद्र शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
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शिक्षा के क्षेत्र में  शिक्षक-शिक्षिकाआें और मेधावी छात्र-छात्राआें को सम्मानित किया
हरिद्वार।
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले प्राचार्य, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, छात्र-छात्राआें को प्रशस्ति पत्र तथा शाल आेढ$ाकर सम्मानित किया। जिनमें एसडी कालेज अंबाला के  प्राचार्य डा. राजेन्द्र सिंह, एसएसडी गल्र्स कालेज भटिंडा की प्राचार्य डा. नीरू गर्ग, जी जी डी एस डी कालेज हरियाणा की एसोसिएट प्रो. डा. मधु शर्मा , एचएसडी गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल गुरदासपुर की शिक्षिका निजिंदर कौर संधू एवं डा. सीमा वासुदेव,  हरिद्वार के डा.श्याम लाल गौड$ को विद्या वाजस्पति दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं 13 मेधावी छात्र-छात्राआें को महामना मदन मोहन मालवीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समनित होने वाले छात्र छात्राआें में अंशिका, रमनप्रीत, समरीन, खुशमन,ईशा, जसमीन, हुनर अग्रवाल, नमन गुप्ता , खुशी अरोड$ा, सुहानी  अगस्त, सोयम शामिल रहे। राज्यपाल का सप्त ऋषि आश्रम पहुंचने पर पुष्पगुच्छ, शाल तथा प्रतीक चिन्ह भेंटकर भव्य स्वागत व अभिनन्दन किया गया। जगदेव सिंह संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा  शंख घंटा ध्वनि ,स्वस्तिवाचन और पुष्प वर्षा कर राज्यपाल का अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.देश बन्धु, डा. भारती बन्धु,  कार्यकारी अध्यक्ष इन्द्र मोहन गोस्वामी,  उपेन्द्र शर्मा, डा. गुरदीप शर्मा, महन्त स्वरूप बिहारी शरण,  विवेक शर्मा, डा. राजीव, सुधीर गुप्ता, सतपाल ब्रह्मचारी, अरुण शर्मा सहित सम्बन्धित पदाधिकारी एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

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