उत्तराखंड

पतंजलि योगपीठ में गुरुपूर्णिमा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

-गुरूपर्व के अवसर पर स्वामी रामदेव ने 15 विद्वान भाईयों व 5 विदुषी बहनों को संन्यास की दीक्षा दी

हरिद्वार।
पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में गुरु पूर्णिमा पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण महाराज ने पतंजलि परिवार के साथ—साथ समस्त देशवासियों को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं प्रेषित की। इस अवसर पर पतंजलि सन्यासाश्रम के तत्वाधान में स्वामी रामदेव महाराज ने 15 विद्वान भाईयों व 5 विदुषी बहनों को संन्यास की दीक्षा दी। कार्यक्रम में स्वामी रामेदव महाराज ने कहा कि यह पर्व सनातन धर्म व संस्कृति की धरोहर है। भारतीय सनातन परम्परा के अनुसार परमात्मा स्वयं गुरु रूप में हमें सद्मार्ग, उन्नति, कल्याण और ईश्वरीय पथ पर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि समाज, राष्ट्र और विश्वकल्याण के लिए गुरु व शा जो उपदेश व निर्देश दे, शिष्य को बिना संदेह उन उपदेशों का अनुसरण करना चाहिए। गुरु ही है जो हमें कल्याण के पथ पर आरूढ$ करता है। सन्त, गुरु या आचार्य चेतना के जिस उन्नत स्तर पर जी रहे हैं या जीवन मुक्त अवस्था में रहते हुए प्रज्ञा प्रासाद पर आरूढ$ होकर व ऋतम्भरा प्रज्ञा से युक्त होकर जो हमें उपदेश दे रहे हैं यदि जीवन चेतना के उसी स्तर से हम स्वयं को जोड$ देंगे तो हम भी वही बोलेंगे जो सन्त बोल रहे हैं और हमारा भी जीवन सन्तों की तरह पूर्ण रूप से रूपान्तरित हो जायेगा। कार्यक्रम में आचार्य ने कहा कि प्रभु की अनुकंपा, कृपा, सामथ्र्य तथा गुरुओं के आशीर्वाद से हम इस धरा पर हैं।

गुरुओं का सान्निध्य परमात्मा के अहैतुकी कृपा है। गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु के प्रति सम्मान व समर्पण भाव को व्यक्त करता है। अपने कर्तव्य और आत्मबोध को समझ सकें उसके लिए जिन्होंने हमें ज्ञान दिया, बोध कराया उनको सदैव स्मरण करें। उन्होंने कहा कि गुरु के साथ मन, बुद्धि, वाणी, व्यवहार एवं संकल्प से एकाकार हो जाना तथा उन जैसी दिव्य चेतना के साथ जीवन को जीना ही उनका सच्चा दर्शन है। शा व गुरु के शब्दों की एक-एक दिव्य ध्वनि तुम्हें प्रतिध्वनित होगी और तुम्हें ऐसा प्रतीत होगा कि शा एवं गुरु के शब्दों में उनका जीवन बोल रहा है। एेसा स्वाध्याय हमारे जीवन को रूपान्तरित करता है और हमें गुरुआें का प्रतिरूप बना देता है। संन्यास दीक्षा कार्यक्रम में विद्वान् भाईयों व विदुषी बहनों को वीआईपी घाट हरिद्वार में स्नान कराकर वेद मन्त्रों के बीच विरजा होम तथा मुण्डन संस्कार किया गया। तत्पश्चात शिखासूत्र व यज्ञोपवीत पतित पावनी माँ गंगा के पावन जल में विसर्जित की। तत्पश्चात संत कुटीर में स्वामी महाराज द्वारा सन्यासी भाईयों व साध्वी बहनों को भगवा व प्रदान किए गए। उसके बाद स्वामी जी के द्वारा 2 संन्यास दीक्षुआें को शिर पर पुरुषसुक्त के मन्त्रों से जलाभिषेक कर पवित्र सन्यास संकल्प दिलाया गया। मध्याहन सत्र में पतंजलि सन्यासाश्रम के सन्यासी भाइयों व साध्वी बहनों तथा पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् के छात्र-छात्राआें ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एनपी सिंह, पतंजलि फूड्स लि. के एमडी रामभरत, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति—कुलपति डा. महावीर, पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका एवं संकायाध्यक्षा मानविकी तथा प्राच्य अध्ययन संकाय डा. साध्वी देवप्रिया, आचार्यकुलम् की उपाध्यक्षा बहन ऋतम्भरा शा ी, क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल, संप्रेषण विभाग प्रमुख बहन पारूल, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के मुख्य केन्द्रीय प्रभारीगण भाई राकेश कुमार ‘भारत’ एवं स्वामी परमार्थदेव, बाबू पद्मसेन आर्य (सपरिवार), डा. जयदीप आर्य, स्वामी विदेहदेव, स्वामी आर्ष देव, स्वामी ईशदेव, स्वामी मित्रदेव, स्वामी विनयदेव, स्वामी सोमदेव, स्वामी बजरंगदेव, साध्वी देवमयी, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवादिति, साध्वी देवसुमन, साध्वी देववरण्या, साध्वी देवशक्ति, साध्वी देवांशी आदि सहित पतंजलि परिवार के समस्त ईकाई प्रमुख, अधिकारी, कर्मचारी, संन्यासी भाई, साध्वी बहनें व पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कालेज, पतंजलि गुरुकुलम् एवं आचार्यकुलम् के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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