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राष्ट्रीय कवि संगम ने की कवि गोष्ठी आयोजित

हरिद्वार।
नवगठित साहित्यिक संस्था ’राष्ट्रीय कवि संगम’ की हरिद्वार इकाई ने पातंजल दिव्य योगधाम, आर्यनगर के सभागार में एक कवि गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें नगर की अनेक प्रमुख साहित्यिक संस्थाआें से सम्बद्ध कवियों ने भी अपनी—अपनी रचनाओं की प्रस्तुति के साथ, काव्य गंगा प्रवाहित कर उपस्थित श्रोताओं की वाहवाही लूटी। गोष्ठी के मुख्य अतिथि राकेश चौधरी, लोकपाल सहारपुर व प्रदीप चौधरी, जिला अध्यक्ष ओबीसी मोर्चा थे। कविता पाठ करते साहित्यिक संस्था परिक्रमा के सचिव शशिरंजन चौधरी ने ’झुके विटप जो ारा पर, वही ारा पर टिके हये हैं’ सुना कर मानवीयता के गुणों का बखान किया। अरङ्क्षवद दुबे ने चेताया ’सारी दुनिया जब झूठ मुस्कायेगी तो कविता भी अपना धर्म निभाएगी’, प्रभात रंजन ने बताया ’समय का मारा हूँ, लेकिन आँखों का तारा हूँ’। अरुण कुमार पाठक ने ’चलते—चलते कदम डिगे ना, सांस भले ही थम जाये’ से प्रेरित किया तो, कंचन प्रभा गौतम ने ’हम दिल हार गये, जब चुपके से तुमने ये कहा, वुड यू लाइक टू वियर दिज ग्लास बैंगिल्स टू’ के साथ हिन्दी—अंग्रेजी मिश्रित कविताओं की नयी विधा का आगाज किया। पारिजात के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि सुभाष मलिक ने ’नुकीले शूल भी दुलरा रहे हैं पाँव को मेरे’ के साथ आत्मव्यथा की अभिव्यक्ति की। गोष्ठी का सफल संचालन कर रहे दिव्यांश कुमार दुष्यंत ने ’विनाश के कहर में जीव बाकी रह गया’ के साथ चौथे विश्व युद्ध के परिणामों की परिकल्पना को सामने रखा। अमन शुक्ला ’शशांक’ ने ’देश पर जो मर मिटे ऐसी जवानी चाहिये’ के साथ देशभक्ति की भावना का संचार किया। प्रशान्त कौशिक के गीत ’मेरी आँखों में झांकता क्यों नहीं’ तथा कविता जैन की राम मंदिर से जुड़ी रचना’ आज प्रभु का राजतिलक है, जिसका चर्चा दूर तलक है’ ने भी खूब तालियां बटोरी। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कवि बाबूराम प्रधान ने जहां काव्य गोष्ठी में विभिन्न रचनाकारों द्वारा प्रस्तुत रचनाआें की वहीं ’हमवतन से यू्ँ न छलावा करो, अंोरा बहुत है उजाला करो’ सुन कर देशभक्ति की भावना का संचार किया। इसके अतिरिक्त मीनाक्षी, अपराजिता कुमारी, सुमित साहू, शिशुमित्र यादव आदि कवियों ने भी कवि गोष्ठी में अपनी रचनाआें का पाठ किया।

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