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पतंजलि योगपीठ में गर्भ संस्कार संतति सृजनम विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

हरिद्वार।
पतंजलि आयुर्वेद कालेज एवं हास्पिटल, पतंजलि अनुसंधान और पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में गर्भ संस्कार आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संतति सृजनम का आयोजन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। कार्यशाला का उद्घाटन स्वामी रामदेव, आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण एवं विशिष्ट अतिथि डा. कल्पना शर्मा को उनके आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि भारत भूमि गौरवशाली आदर्श माताआें से सुसमृद्ध है, इनमें जीजाबाई, पुतलीबाई, मदालसा, सीता ऐसी माताए रही हैं जिन्होंने सुसंस्कारित संतान को आकार दिया, आज भारत भूमि को एेसी ही संततियों की आवश्यकता है। एक माँ विपरीत परिस्थितियों में भी अपने अथक प्रयासों से सुसंस्कारित नागरिकों का सृजन करती है।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने मातृत्व की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदों और ग्रंथों में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है। जिनमें तीन संस्कार गर्भाधान, पुंसवन और सीमंतोन्नयन जन्म से पूर्व के है, उनका संयोजन भावी शिशु के माता—पिता द्वारा गर्भ की रक्षा—भावना से किया जाता है। यदि एक माँ स्वस्थ है तो ही वह स्वस्थ बालक को जन्म दे सकती है। भावी माता को अपने शिशु को कुपोषण से बचाने के लिए संतुलित भोजन, योग, ध्यान एवं ङ्क्षचतन—मनन पर ध्यान देना आवश्यक है। पतंजलि जड$ी—बूटी अनुसंधान की प्रमुख डा. वेद्प्रिया आर्या ने वर्तमान में ियों में बढ रही पीसीओडी (पालीसिस्टिक ओवरी डिसिज) के कारण सामान्य प्रजनन चक्र अवरुद्ध होने पर ङ्क्षचतन प्रस्तुत किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में डा. कल्पना शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य को बनाए रखना, बीमारी की रोकथाम और इलाज करना है। आयुर्वेद वह संजीवनी है जो जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से अलौकिक शक्ति प्रदान करती है। पुरुष बीजी बीज के तथ्यों में यह प्रकृति का सृजनम करते हैं जिससे सभ्यता का निर्माण होता है। आयुर्वेदिक सिद्धांत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अपार संभावनाओं पर आधारित बताया एक व्यापक दृष्टिकोण में प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान दोनों का मिश्रण स्वस्थ जीवन की समग्रता में वृद्धि करता है। समारोह को संबोधित करते हुए आयुर्वेद कालेज के वाइस ङ्क्षप्रसिपल गिरीश केजे ने विभिन्न आयुर्वेदिक कालेजों द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शोधाॢथयों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए कार्यक्रम का संचालन डा. सुमन ङ्क्षसह एवं डा. ग्रेसी सोकिया ने किया कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ङ्क्ष प्रिंसिपल, आयुर्वेद कालेज, हरिद्वार के डाक्टर अनिल कुमार ने कहा कि एेसी व्याख्यानमाला जीवन को समग्रता से जीने की नवीन दृष्टि प्रदान करती है। इस अवसर पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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