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अच्छी पहल: संस्कृत भाषा में ही बोलचाल करेंगे अकादमी, परिषद् व निदेशालय के कर्मचारी : डा. आर्य

अकादमी परिसर में स्थित सभी कार्यालयों के अधिकारी—कर्मचारियों सहित चालक, परिचारक, सुरक्षाकर्मी व उद्यान रक्षक भी संस्कृत भाषा में बोलचाल करने का प्रशिक्षण लेगें
हरिद्वार।
संकल्पित होकर संस्कृत संस्कृत भाषा के व्यवहार हरिद्वार उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी सभागार में संस्कृत सम्भाषण कक्षा का शुभारम्भ प्रशिक्षक सहशिक्षक व अकादमी के अधिकारी—कर्मचारियों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के पश्चात् सरस्वती वन्दना तथा अभ्यागत प्रशिक्षक व सहशिक्षक का स्वागत किया गया। पठतु संस्कृतं, वदतु संस्कृतम’ संस्कृत गीत गाकर और ’वन्दे संस्कृत मातरम’ इस ध्येय मन्त्र से अकादमी, संस्कृत शिक्षा परिषद व निदेशालय के अधिकारी—कर्मचारियों ने करने का संकल्प लिया। उद्घाटन के अवसर पर अकादमी के सचिव डा. वाजश्रवा आर्य ने कहा कि भाषा का ज्ञान बोलने से होता है। अत: अभ्यास की आवश्यकता है संस्कृत भाषा से अनेकों भाषाओं का उद्भव हुआ इसीलिए संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा गया है। कहा कि अकादमी परिसर में स्थित सभी कार्यालयों के अधिकारी—कर्मचारियों सहित चालक, परिचारक, सुरक्षाकर्मी व उद्यान रक्षक भी संस्कृत भाषा में बोल—चाल करने का प्रशिक्षण लेगें । प्रशिक्षक डा. प्रकाश जोशी ने सभी प्रशिक्षाॢथयों को विश्वास दिलाया कि वे बहुत कम समय में संस्कृत भाषा में बोलचाल कर सकते हैं। प्रशिक्षण प्राप्ति उपरान्त केवल निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का व्याकरण सुव्यवस्थित है और इस भाषा में शब्दावली भी विस्तृत है। अत: हमें एक ही वस्तु के लिये अनेक शब्द प्राप्त हो जाते है। अकादमी के वित्त अधिकारी सयेन्द्र प्रसाद डबराल ने सभी प्रशिक्षण थयों को शुभकामना देते हुये कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में एक है विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद भी इसी भाषा में है। अत: हम निसंकोच कह सकते हैं कि वैदिक भाषा सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रामाणिक भाषा है। हम बडे भाग्यशाली हैं कि हमें इस भाषा को पढ$ने व समझने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शोध अधिकारी डा. हरीशचन्द्र गुरुरानी ने संस्कृत भाषा के महत्व को बताते हुये कहा कि भाषा का प्रथम सोपान भाषण है हमें निरन्तर संस्कृत भाषा में बोलचाल का अभ्यास करना चाहिए इसी अभ्यास से एक दिन हम प्रखर संस्कृत भाषी बन सकते हैं। सहशिक्षक केशवदत्त बलियानि ने अभिनय पाठ व संस्कृत गीत के माध्यम से प्रशिक्षाॢथयों को मंत्रमुग किया। इस अवसर पर अकादमी के प्रकाशन अधिकारी किशोरी लाल रतूडी, प्रशासनिक अधिकारी लीला रावत, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष रमा कठैत, कुलदीप सैनी, आशाराम सेमवाल, उनियाल, कृष्णा अंजली, रजनी मलासी, दिव्या पालीवाल, विवेक पंचभैया, सुशील मैठाणी, पंकज नेगी, मोहित रावत, कविता, आकांक्षा, नारायण अधिकारी, प्रीतम, बेबी, ओमप्रकाश, सन्तोष रावत, हरीश तिवारी, राजेन्द्र, विनय, अंकित, सुनील आदि उपस्थित थे।

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