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साधु को जलसमाधि दिए जाने की शिकायत के बाद गंगा से निकलवाया शव

-जिला गंगा सरंक्षण समिति के सदस्य ने की थी शिकायत
हरिद्वार।
उत्तरी हरिद्वार में एक बार फिर मृत साधु के शव को गंगा में जलसमाधि दिए जाने का मामला सामने आया है। जिला गंगा संरक्षण समिति के सदस्य रामेश्वर गौड$ के सूचना दिए जाने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को गंगा से बाहर निकलवाया। पुलिस ने जल समाधि दे रहे लोगों को नियमों की जानकारी दी और शव को शमशान भिजवाया। बीती देर रात मथुरा से कुछ लोग एंबुलेंस में एक साधु का शव लेकर हरिद्वार पहुंचे और ठोकर नंबर 4 व 5 के बीच शव को गंगा में जल समाधि देने लगे। घाट पर रहने वाले लोगों ने उन्हें मना किया। लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं सुनी और शव को गंगा में डालकर जाने लगे। इसके बाद लोगों ने जिला गंगा संरक्षण समिति के सदस्य रामेश्वर गौड$ को सूचना दी। रामेश्वर गौड$ ने पुलिस को सूचित किया। सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने एंबुलेंस चालक पवन पुत्र रमेश निवासी सरस्वती कुंड सराय आजमाबाद जयसिंहपुरा मथुरा से पूछताछ की तो उसने बताया कि कुछ लोग मथुरा से एंबुलेंस में एक बाबा के शव को जल समाधि के लिए लेकर आए हैं। इस पर पुलिस ने शव को जल समाधि देने आए बिहारी पुत्र छोटेलाल निवासी वृंदावन मथुरा, दीपक पुत्र सत्य प्रकाश निवासी सरस्वती कुंड सराय एजामाबाद जयसिंहपुरा मथुरा व लक्ष्मी नारायण पुत्र रामलाल निवासी वृंदावन शक्ति विहार मथुरा से पूछताछ करते हुए अवगत कराया कि एनजीटी के नियमों के अनुसार गंगा में जल समाधि नहीं दी जा सकती है और ऐसा करना कानूनन अपराध है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी देते हुए शव को गंगा से बाहर निकलवाया। इसके बाद जलसमाधि देने आए लोग शव को लेकर चले गए। जिला गंगा सरंक्षण समिति के सदस्य रामेश्वर गौड$ ने बताया कि एनजीटी के नियमानुसार गंगा में शव को जल समाधि देना कानूनी अपराध है। इसके बावजूद लोग रात में जल समाधि देकर चले जाते हैं। गंगा में पड़े शव के सड$ने से गंगा प्रदूषित होती है। जिला गंगा संरक्षण समिति के प्रयासों से जल समाधि दिए जाने से रोकने के लिए चेतावनी बोर्ड भी लगाए हैं। लेकिन बोर्ड एेसे स्थान पर लगाए गए हैं जो जल समाधि दिए जाने वाले स्थान से काफी दूर हैं। जिसका कोई लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को जिला गंगा संरक्षण समिति की बैठक में भी कई बार उठाया जा चुका है। जल समाधि दिए जाने के मामले में प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। गौरतलब है कि लगभग एक सप्ताह पूर्व भी हरियाणा के कुछ लोगों द्वारा एक साधु को जल समाधि देने का मामला सामने आया था। जिसमें पुलिस ने कार्रवाई करते हुए शव को गंगा से बाहर निकलवाकर वापस भिजवाया था।

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