देश हरिद्वार

अणु तैल’ ब्लैक फंगस डिसीज के कन्निघामेला बर्थोलेटि के विरुद्ध अत्यंत कारगर: आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने ब्लैक फंगस में अणु तैल को प्रामाणिकता औषधि बताते हुए पूरे विश्व में एक बार फिर आयुर्वेद का डंका बजाया है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद की हजारों साल पुरानी शा ीय औषधि ‘अणु तैल’ ब्लैक फंगस डिसीज के कन्निघामेला बर्थोलेटि के विरुद्ध अत्यंत कारगर पायी गयी। हमने इस पर गहन अनुसंधान किया है तथा आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने पतंजलि के इस अनुसन्धान में पादपों की वैदिक वर्गिकी को ‘संस्कृत भाषा आधारित’ देवनागिरी लिपि में पहली बार प्रकाशित किया है।
उन्होंने बताया कि अणु तैल, एक हर्बल नेजल—ड्राप है जो बीजाणुआें के अंकुरण को रोकता है। यह कैंप सीएके को कम करके रोगजनक म्यूकोरेल कन्निघामेला बर्थोलेटि के रिएक्टिव आक्सीजन स्पीसिज (आरआेएस) और एक्सट्रिंसिक आरआेएस को बाधित करता है। आचार्य जी ने बताया कि पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया कि अणु तैल फंगस के आक्सीडेटिव स्टेट को प्रभावी रूप से बाधित करता है। अणु तैल इस फंगस के स्पोर्स को जर्मिनेट होने से रोकता है, और उसके साथ—साथ हमारी स्वस्थ कोशिकाआें को भी इस इन्फेक्शन से लड$ने का बल प्रदान करता है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा. अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि यह आधुनिक अनुसंधान आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जर्नल ‘लेटर्स इन एप्लाइड माइक्रोबायोलाजी’ में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने कहा कि कन्निघामेला बर्थोलेटि दुर्लभ, सबसे तेजी से बढ$ने होने वाला, आक्रामक म्यूकोरेल ब्लैक फंगस हैै, अणु तैल इसके बीजाणुआें को बढ$ने से रोकता है। यह हमने वैज्ञानिक प्रमाण के बाद प्रस्तुत किया है। और विश्व के प्रमुख माइक्रोबायोलाजी जरनल ने इसे प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि अणु तैल के ऊ पर यह हमारा दूसरा इंटरनेशनल रिसर्च पब्लिकेशन है और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट की माइक्रोबायोलाजी की टीम एेसे नित नए अनुसंधान करती रहती है। हम और वैज्ञानिक शोध को आगे लाकर मानव स्वास्थ्य के प्रति आयुर्वेद के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को और मजबूत करेंगें।

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