उत्तराखंड धर्म हरिद्वार

परमात्मा से आत्मा का मिलन ही है राजयोग: बीके शिवानी

राम राज्य की स्थापना के लिए संकल्प से सिद्धि की ओर जाना होगा  

शिवानी को सुनने के लिए उमड़ा जनसैलाब

हरिद्वार।
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक वक्ता और प्रेरणा स्रोत राजयोगिनी बीके शिवानी ने कहा कि आज हम साधनों और परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं। हम इनकी गुलामी से मुक्ति पाकर ही स्वराज यानी आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।
बीके शिवानी आज हरिद्वार में प्रेम नगर आश्रम के सभागार में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्घ्वविद्यालय सेवा केंद्र हरिद्वार द्वारा किया गया था।  शिवानी ने संतों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। बीके शिवानी का हरिद्वार के सेवा केंद्र की प्रभारी मीना दीदी ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। आध्यात्मिक गुरु बीके शिवानी का हरिद्वार में पहले सार्वजनिक आध्यात्मिक कार्यक्रम था। उनके व्याख्यान को सुनने के लिए जनसैलाब उमड पड़ा। सुबह 6: 30 से 8: 30 तक शांत भाव से लोगों ने उन्हें सुना। शिवानी ने श्रोताओ  को जीवन यापन के कई सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में भगवान प्रभु राम और और रावण दोनों हुए हैं। रामराज्य का मतलब सत्य ,शांति, सुखमय और आध्यात्मिक जीवन जीना है, जबकि रावण राज्य के मायने विकारों से युक्त जीवन जीना है। रावण के 10 सिर थे यानी 10 विकार काम, क्रोध, लोभ, अहंकार,मोह, निंदा, आलस्य आदि। हमें इन विकारों को जीवन से समाप्त कर यानी पराजित कर रामराज्य की स्थापना करनी है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी  2024 को प्रभु श्री राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर राम राज्य की स्थापना करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने के लिए हमें किसी का इंतजार नहीं बल्कि सुख शांति स्नेह की स्थापना करने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि इस समय घोर कलयुग चल रहा है और कलयुग के बाद सतयुग आता है। हमें रामराज्य यानी सतयुग डर गुस्सा नाराजगी दिखाकर नहीं बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। इस समय राम राज्य को लाने के लिए पूरे देश में लहर चल रही है। राम राज्य के बिना स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं। साधनों के ऊ पर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की आेर जा सकते हैं। और यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।
आध्यात्मिक गुरु शिवानी ने परमात्मा और आत्मा के गूढ रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि हम अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए हर विपरीत स्थिति में भी शांत और स्थिर मन और चित को बनाए रखें। हमें कोई भी कष्ट दे या बद् दुआ दे परंतु हम उसे बद दुआ देने की बजाय उसे दुआ दें और दुआ रूपी मरहम से बददुआ के घांव  को सहलाएं और भरें। क्योंकि हमारे संस्कार किसी को दुख देने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है और इसके लिए हमें जीवन में शुद्ध संस्कारों का निर्वहन करना होगा ।  हमें जीवन में अन्न—जल ग्रहण  करते हुए उसकी शुद्धता का ध्यान रखना होगा। कहते हैं जैसा अन्न वैसा मन और जैसा पानी वैसी वाणी।  उन्होंने कहा कि मनुष्य के जो कर्म होते हैं , वही उसके साथ अगले जन्म के लिए जाते हैं। और हमारे इस जन्म के कर्म हमें अगले जन्म का निर्धारण करते हैं। हमारे इस जन्म के कर्मों का लेखा—जोखा हमारे अगले जन्म को निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि कोई आत्मा अपने इस शरीर को छोडकर नए शरीर में यानी नए परिवार में जाना चाहती है तो हम उस आत्मा को नए  शरीर में जाने के लिए रोकें नहीं बल्कि उसे खुशी—खुशी विदा करें और वह आत्मा खुशी सेे पुराने शरीर से नए शरीर में प्रवेश करती है तो वह हमें आशीष देती है। यही  राजयोग है।
इस अवसर पर महंत गुरमीत सिंह, संत डा. रवि देव शास्त्री, पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक मदन कौशिक, कार्यक्रम के संयोजक ज्ञानेश अग्रवाल, जगदीश लाल पाहवा, ब्रह्म कुमार सुशील भाई, समाजसेवी विशाल गर्ग, समाजसेविका मनु शिवपुरी आदि ने अंग व और स्मृति चिन्ह भेंट कर बीके शिवानी का अभिनंदन किया।

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