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जिला प्रशासन की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह! जब खनन बन्द है तो स्टोन क्रेशर क्यों खुले है

Ajay sharma/ हरिद्वार।
भले ही हरिद्वार का जिला प्रशासन अवैध खनन के खिलाफ़ कड़ी कार्यवाही करने की बात कह रहा हो लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है आरोप है की शिकायतों केअंबार के बाद भी हरिद्वार के सभी स्टोन क्रेशर अवैध खनन में लिप्त हैं और इन्हें भ्रष्टतंत्र और सता के प्रभावशाली नेताओं का संरक्षण प्राप्त है।
, सर्व विदित है की हरिद्वार में मां गंगा का सीना चीरकर बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जाता है लेकिन अब खनन माफिया ने कुंभमेला क्षेत्र और कृषि योग्य भूमि को भी निंगलना शुरू कर दिया है “मातृ सदन का कहना है कि जब खनन बंद है तो फिर स्टोन क्रेशर क्यों खुले हैं?
मातृ सदन का आरोप है कि केंद्र सरकार ने गंगा को बचाने के लिए एन.एस.जी.सी बोर्ड गठित किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को सब स्वच्छ रखना व अस्तित्व को बचाए रखना है।
एन.एम.सी.जी ने उत्तराखंड सरकार को बार-बार गंगा में खनन नहीं करनी का आदेश दिया है, लेकिन प्रदेश सरकार ने उनकी नहीं सुनी ऐसी स्थिति में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा खनन पर रोक लगाई जाए!
आपको बता दें कि देहरादून के ग्राम रायवाला से हरिद्वार के ग्राम भोगपुर तक गंगा नदी में खनन के विरोध में दायर मातृ सदन के जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई माननीय न्यायालय ने सरकार को खनन की शिकायतों के निस्तारण के लिए सेवानिवृत्त न्यायिक या प्रशासनिक अधिकारी की तैनाती का आदेश दिया है माननीय न्यायालय ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एन.एम.जी.सी.) से यह सपष्ट करने के लिए कहा है कि गंगा में केवल अवैध खनन पर रोक लगाई है या संपूर्ण खनन पर?
मातृ सदन ने कहा कि एन.एम.सी.जी ने खनन पर रोक के आदेश को समाप्त नहीं किया है बल्कि उसमें तीन अन्य शर्तें जोड़ दी हैं एक रायवाला से भोगपुर तक गंगा में किसी भी तरह का खनन कार्य नहीं होगा दूसरा अवैध खनन करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सिस्टम बनाया जाए, इसकी जिम्मेदारी हरिद्वार के जिलाधिकारी या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की होगी! तीसरा रायवाला से भोगपुर तक गंगा के तट से 3 से 5 किलोमीटर के दायरे में स्टोन क्रेशर के लिए बफर जोन बनाया जाए, जिसका अनुपालन अभी तक नहीं किया गया है जबकि इसके विपरीत इन आदेशों का गलत व्याख्या निकालकर वर्ष 2019 में खनन की अनुमति दे दी गई इस आदेश के स्पष्टीकरण के लिए वर्ष 2019 में मातृ सदन की ओर से प्रत्यावेदन दिया जिसमें एन.एम.सी.जी ने कहां है की वर्ष 2018 के नियम यथावत रहेंगे।

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