हरिद्वार।
आज पतंजलि संस्थान ने भारतीय संस्कृति व भारतीय की श्रेष्ठतम चिकित्सा पद्धतियों योग—आयुर्वेद को विश्व में पहुंचाने की आेर एक कदम आगे बढाया है। यह अवसर था जब पतंजलि संस्थान तथा कोरिया के विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय देगूहानी विश्वविद्यालय के साथ समझौते पर हस्ताक्षर हुए। पतंजलि संस्थान का प्रतिनिधित्व पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज कर रहे थे। इस अवसर पर डेगूहानी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बायुन चौंग हुंन ने कहा कि हम गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं कि हमें भारत की आयुर्वेद और योग परम्परा के सबसे बडे विश्वविद्यालय के रूप में पतंजलि के साथ समझौता करने का अवसर मिला है। अब हम भारत के इस ज्ञान से अपने विद्यार्थियों व शोधार्थियों को और ज्ञानवान कराने में सक्षम होंगे। उन्होंने पतंजलि के द्वारा किए जा रहे अनुसंधानपरक सेवा कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रेसिडेंट चौंग भविष्य में पतंजलि के सहयोग से कोरिया की चिकित्सा परम्परा को समृद्धशाली बनाने पर आश्वस्त दिखे।इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतवर्ष में काम करने वाले भारतीय परम्परा योग—आयुर्वेद के सबसे बडे संस्थान के साथ कोरिया के सबसे बडे संस्थान का मिलना भविष्य में पूरे विश्व में परम्परागत ज्ञान की स्थापना में मील का पत्थर साबित होगा। इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थान मिलकर सुखी, शांत, स्वस्थ एवं समृद्धशाली विश्व के निर्माण में बडी भूमिका निभाएँगे। हमें प्रसन्नता व पूर्ण विश्वास है कि इस कार्य का सम्पादन हम शीघ्रता से कर पाएँगे।
उन्होंने बताया कि देगूहानी विश्वविद्यालय कोरिया की ट्रेडिशिनल मेडिसिन सिस्टम और अनुसंधान के 12 विश्वविद्यालयों में से सबसे बडे एवं सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है जहाँ अब पतंजलि के साथ मिलकर आयुर्वेद पर अनुसंधान का बडा कार्य किया जाएगा। साथ ही आयुर्वेद और योग के ज्ञान को कोरिया में स्थापित करने के लिए कोरिया के विद्यार्थी पतंजलि विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए भारत आएँगे और कोरियन मेडिसिन सिस्टम के ज्ञान अर्जन के लिए पतंजलि के अध्यापक और विद्यार्थीगण अपने ज्ञान का आदान—प्रदान करेंगे। भविष्य में हम उत्पादों के निर्माण एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भी मिलकर काम करेंगे।
कार्यक्रम में डेगूहानी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, बायुन चौंग हुंन, उपाध्यक्ष मून सीप किम, प्रोफेसर सून ए. पार्क तथा उप—संकायाध्यक्ष व जनसंपर्क अधिकारी ची चंग साँग उपस्थित रहे। आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि की ओर से पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख वैज्ञानिक डा. अनुराग वार्ष्णेय, सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के यूनिवर्सिटी रिसर्च कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार डा. हीरो हित्तो आदि उपस्थित रहे।