उत्तराखंड

बृहद् यज्ञ से शुरू हुआ गुरुकुल महाविद्यालय का 115 वां वार्षिक महोत्सव

हरिद्वार।
आर्य समाज की शिक्षण संस्था गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के 1१५ वें वार्षिक महोत्सव का शुभारम्भ बृहद् यज्ञ से हुआ। यज्ञब्रह्मा हेमन्त तिवारी आचार्य रहे। यज्ञोपदेश करते हुए आर्यसमाज के विद्वान एवं आर्य सन्यासी स्वामी यज्ञमुनि  महाराज ने कहा कि यज्ञ से मानव की सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं। यज्ञ के धुएें से पर्यावरण में रहने वाले सभी विषाणु नष्ट हो जाते हैं, और पर्यावरण शुद्ध होता है। भारतीय संस्कृति में यज्ञ का बहुत बड$ा महत्व है। यज्ञ के यजमान विद्यासभा के सदस्य एवं समाजसेवी अजमोद कुमार मोदी रहे। इस बृहद् यज्ञ में संस्था के प्रधान एवं पूर्व कै बिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, कुलपति डा. हरिगोपाल शा ी, मंत्री सभा नन्दलाल सिंह राणा, मुख्याधिष्ठाता सोप्रकाश चौहान, कुलसचिव डा. अजय कौशिक, कोषाध्यक्ष दिनेश आर्य, सहायक मुख्याधिष्ठाता अभिषेक चौहान, सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा, हरिद्वार डा. वाजश्रवा आर्य, अन्तरंग सदस्य विनीत चौहान, विनय चौहान, गुरुकुल कण्वाश्रम के संस्थापक योगीराज विश्वपाल जयन्त आदि महानुभावों ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। संस्था के प्रधान एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द ने ध्वजारोहण कर वार्षिक महोत्सव का उद्घाटन किया तथा गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर बिजनौर से पधारे कुलदीप आर्य, हरियाणा से पधारी कल्याणी आर्य एवं हरिद्वार निवासी निकिता आर्य ने भजनोपदेश कर श्रोताआें का मन मोह लिया। दो दिवसीय वार्षिकोत्सव के प्रथम दिन प्रथम सत्र में वेद सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी यज्ञमुनि जी महाराज ने की। स्वामी यज्ञमुनि जी महाराज ने कहा कि वेद की उपादेयता आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पतंजलि फाउन्डेशन ट्रस्ट पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) के संस्थापक योग साधक आचार्य कर्मवीर महाराज ने कहा कि वेद ईश्वरीय वाणी है। वेद को श्रुति भी कहते हैं। वेद परम्परा का संविधान है। जब तक हम आस्तिक नहीं होंगे हम आध्यात्मिक नहीं हो सकते हैं। हमें राग—द्वेष से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आचारहीन व्यक्ति का वेद भी कल्याण नहीं कर सकता है। दिल्ली से पधारे वैदिक विद्वान डा. छविकृष्ण शा ी ने मुख्य वक्ता के रुप में कहा कि वेद अपौरुषेय हैं, वेद का प्रचार-प्रसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अवश्य करना चाहिए। वेद एक एेसा ज्ञान है जो सार्वकालिक एवं सार्वभौमिक है। गुरुकुल कांगड$ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के वेद विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. दिनेश चन्द्र शा ी ने कहा कि वेदों को समझने के लिए शा ों की परम्परा है। वेद मानव मात्र के कल्याण के लिए है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों का भाष्य कर समाज का मार्ग प्रशस्त किया है। गुरूकुल कांगडी विवि के प्रोफेसर डा. मनुदेव बन्धु ने कहा कि वेद का उपदेश है कि मनुर्भव मनुष्य बनो। मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है। वेद ही सर्वोपरि है। श्रद्धानन्द वैदिक शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर सत्यदेव निगमालंकार ने कहा कि वेद हमारे जीवन का आधार हैं। महर्षि दयानन्द के शब्दों में वेद का पढ$ना—पढ$ाना और सुनना—सुनाना सब आर्यो का परम धर्म है। दिल्ली से पधारे वैदिक विद्वान चन्द्रशेखर शा ी ने वेद की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। वेद सम्मेलन का संचालन संस्था के आचार्य पं. हेमन्त तिवारी ने किया। इस अवसर पर आर्य समाज के पदाधिकारीगण, आर्य समाज के प्रधान हाकम सिंह आर्य, फरीदाबाद से पधारे अमन शा ी, स्वामी अग्निवेश, विजय शा ी, डा. रमेश चन्द्र शर्मा, गुरुकुल महाविद्यालय के शिक्षा के विभाग के आचार्यगण, बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रवक्तागण, समस्त कर्मचारीगण एवं ब्रह्मचारीगण उपस्थित रहे। राष्ट्रीय इण्टर कालेज सीतापुर की छात्राओं ने स्वातगत गीत गाकर आगन्तुक महानुभावों का स्वागत किया। द्वितीय सत्र में आर्य युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया। (आर्य युवाआें के कर्तव्य आज के परिप्रेक्ष्य में) विषय पर आर्य विद्वानों ने अपने—अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी यज्ञमुनि महाराज ने कहा कि आर्य युवा ही समाज के एेसे कर्णधार हैं जो समाज की दिशा और दशा को सुधार सकते हैं। गुरुकुल कण्वाश्रम कोटद्वार के संस्थापक एवं विशिष्ट अतिथि डा. विश्वपाल जयन्त, आधुनिक भीम ने कहा आर्य समाज एक एेसा सद्पुरुषों का संगठन है जो सभी को एकता के सूत्र में पिरो सकता है। आर्य युवा इस समाज की रीढ$ हैं। सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा, हरिद्वार के डा. वाजश्रवा आर्य ने आर्य युवा अपनी संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करते हुए समाज का मार्गदर्शन करें तथा वैदिक धर्म की रक्षा करें। गुकांविवि संस्कृत विभाग के प्रोफेसर सोमदेव शतांशु, गुकां विद्यालय विभाग के प्रधानाचार्य विजेन्द्र शा ी, स्वामी अग्निवेश आदि विद्वानों ने आर्य युवा सम्मेलनों में अपने—अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के सहायक मुख्याधिष्ठाता अभिषेक चौहान ने किया।

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