उत्तराखंड हरिद्वार

पांडेवाला के बीएसयूपी के आवासों की होगी जांच

हरिद्वार।
पांडेवाला ज्वालापुर में नगर निगम द्वारा जेएनएनयूआरएम के उपमिशन में निर्मित बेसिक सर्विस अर्बन पुअर (बीएसयूपी)  योजना के 96 आवासों के आवंटन में अनियमितताओ की जांच होगी। नगर निगम अधिकारियों ने भारत सरकार से स्वीकृत योजना की शर्तों का ही नही पात्रता की धज्जिया उडाते हुए अपात्र लोगों को आवास आवंटित किए हैं। इतना ही नही एक निजी व्यक्ति की भूमि पर बसे लोगों को आवास आवंटन सूची में चयनित कर उसकी भूमि खाली कराई गई। सूची में एक परिवार से सात लोगों का चयन किया गया। नगरपालिका चेयरमैन सतपाल ब्रह्मचारी के बोर्ड द्वारा चयनित ईडब्ल्यूएस के 9६ परिवारों पांडेवाला ज्वालापुर में नगरपालिका परिषद की भूमि पर वर्ष 2012 में आवासों का निर्माण पूरा हो गया था। जिनमे से अभी तक 73 आवासों का आवंटन ही नगर निगम कर पाया है।
आरटीआई कार्यकर्ता पत्रकार रतनमणि डोभाल ने द्वारा मांगी गयी सूचना नगर-निगम के लोक सूचना अधिकारी को इस योजना की सूचना देने में दो साल का वक्त लगा। इस दौरान कई लोक सूचना अधिकारी अदले—बदले गए। सूचना आयोग में द्वितीय अपील की सुनवाई के बाद राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी कर सभी लोक सूचनाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के तलब करने तथा नगर आयुक्त को योजना की जिम्मेदारी के लिए अधिकारी को नियुक्त करने की संस्तुति किए जाने के बाद योजना की फाइल मिल पाई। जिससे पता चला कि अधिकारियों ने तत्कालीन शहरी विकास मंत्री के निर्देशों का भी खुला उल्लंघन किया है राज्य सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में इसका उल्लेख किया है कि मंत्री ने निर्देश दिया था कि लाभार्थियों की सूची बनाते समय इस बिंदु का विशेष ध्यान रखा जाए की अभिलार्थी लाभार्थी का एक ही मलिन बस्ती से चयन हो तथा प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शिता के साथ किया जाए मंत्री द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि इस संबंध में जिलाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श अवश्य किया जाए तथा कार्य को 2 दिनों के अंदर पूर्ण कर लिया जाए। पत्रावलियों के अवलोकन से पता चलता है कि नगर निगम अधिकारियों ने मंत्री के निर्देशों का भी उल्लंघन किया और मनमाने ढंग से लाभार्थियों का चयन किया। जिन लाभार्थियों को आवास आवंटित भी किए गए हैं उनसे उनकी अतिक्रमित सरकारी भूमि भी खाली नही कराई गई है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अपीलार्थी का प्रत्यावेदन जनहित का है। जिसे आवश्यक कार्रवाई के लिए  सचिव शहरी विकास उत्तराखण्ड शासन एवं निदेशक शहरी विकास उत्तराखण्ड शासन को संदर्भित किया जाता है।

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