हरिद्वार।
बैरागी कैम्प स्थित श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय भगवान परशुराम महोत्सव के दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि भारत के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे जैसे क्रांतिकारी ब्राह्मणों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। राष्ट्र निर्माण में ब्राह्मण समाज का योगदान हमेशा अतुल्य रहेगा। अखिल भारतीय अखाड$ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञान दास महाराज ने कहा कि ब्राह्मण समाज भारत के सांस्कृतिक इतिहास और विकास का गवाह रहा है। देश को अपनी परंपरा का ज्ञान कराने और समाज में धर्म एवं संस्कृति को जागृत करने में ब्राह्मणों ने अहम भूमिका निभाई है। आज भारत में पश्चिमी सभ्यता हावी हो रही है। ब्राह्मण समाज सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से राष्ट्र को एक मंच पर लाकर एकता और अखंडता कायम रखने में योगदान प्रदान कर रहा है। यह सभी के लिए गौरव की बात है। श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि हम सभी को राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसलिए संविधान में प्रदत्त कर्तव्य को आचरण में लाकर आगे बढं$े। हम सभी मिलकर प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर भारत देश उन्नति की और अग्रसर होगा और स्वयं के जीवन को प्रोन्नत करने में भी यह बेहतरीन कदम होगा। श्री ज्ञान गंगा गौशाला के अध्यक्ष महंत रामदास महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय एकता अखंडता व सामाजिक समरसता के लिए कर्तव्यों का निर्वहन करना अति आवश्यक है। ब्राह्मण समाज सभी वर्गों को साथ लेकर चला है और चलता रहेगा। वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक ब्राह्मण समाज शा और श की कला में निपुण रहा है और अपनी विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करता रहा है। एक शक्तिशाली भारत के निर्माण और विदेशी आक्रमण का सामना करने के लिए चाणक्य, पुष्पमित्रा से लेकर माधवाचार्य, विद्यारणया तक और उसके बाद मुगल काल में भी तुलसीदास एवं अन्य संतों ने हिंदुआें को धर्म से जुड$े रहने में अहम योगदान दिया। यह सब देश के इतिहास में ब्राह्मणों के महत्व को दर्शाता है। इस दौरान शिवदत्त शर्मा, श्याम लाल शर्मा, डा. धर्मपाल, हरिराम शर्मा, जयप्रकाश, जय भगवान, अमृतलाल, हुकुमचंद आदि ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत संजय दास, महंत हेमंत दास, महामंडलेश्वर स्वामी जनार्दन दास, महंत गोविंद दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत प्रेमदास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत अगस्त दास, महंत अरुण दास, महंत सूरज दास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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