देहरादून।
उत्तराखण्ड, जो कि देश में “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, उसकी धार्मिक मर्यादा और सनातन संस्कृति का आदर करना प्रत्येक नागरिक एवं संस्था का कर्तव्य है। इस पावन भूमि पर किसी भी ऐसे ब्राण्ड की बिक्री या उत्पाद को अनुमति नहीं दी जाएगी जो देवी-देवताओं या धार्मिक अवधारणाओं से मिलते-जुलते नामों से जुड़ा हो और जिससे प्रदेशवासियों की धार्मिक भावनाओं को आघात पहुंचे। उत्तराखण्ड आबकारी विभाग इस प्रकार के ब्राण्डों के विरुद्ध कठोर रुख अपनाते हुए यह स्पष्ट करता है कि “त्रिकाल” या किसी भी मिलते-जुलते नाम के मदिरा ब्राण्ड को राज्य में न तो अनुमति दी गई है और न ही भविष्य में दी जाएगी। आबकारी विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा ऐसी किसी भी खबर का खंडन करता है, और सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से इस प्रकार की खबरें फैलाना एक सोची- समझी साजिश प्रतीत होती है। जिसका उद्देश्य उत्तराखण्ड एवं उसके प्रशासनिक तंत्र को बदनाम करना है। आबकारी विभाग इस संबंध में साइबर अपराध की धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने की कार्यवाही कर रहा है। साथ ही अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखण्ड आबकारी विभाग जनता से अपील करता है कि इस प्रकार की अफवाहों पर विश्वास न करें तथा ऐसी खबरों की सूचना तुरंत विभाग अथवा संबंधित प्रशासन को दें। ताकि समय रहते इन पर कार्रवाई की जा सके।
उल्लेखनीय है कि शोसल मीडिया पर दो दिन से एक नए शराब के ब्रांड का प्रचार तेजी में है जिसका नाम सनातन धर्मनके देवी देवताओ से मिलता जुलता है, जिसको लेकर कई हिंदूवादी संगठनों में भी विरोध हो रहा है, हालांकि कंपनी द्वारा इस शराब को उत्तराखंड में बेचने की अनुमति नही मिली है, परंतु शोसल मीडिया पर भ्रामक प्रचार के चलते उत्तराखंण्ड आबकारी विभाग ने अपना स्पस्टीकरण देना पड़ा है। जिसमे स्पष्ट किया गया है कि देवभूमि में सनातन धर्म से जुड़े किसी भी देवी देवता के नाम से जुड़े ब्रांड को अनुमति न तो दी गयी है ना ही भविष्य में दी जायेगी।
