उत्तराखंड धर्म हरिद्वार

कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर तीर्थनगरी उमडा जनसैलाब

-लाखों श्रद्धालुओ  ने गंगा में स्नान किया
-भारी संख्या में वाहन आने पर यातायात व्यवस्था चरमराई

हरिद्वार।
तीर्थनगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर देश के अलग—अलग राज्यों से लाखों श्रद्धालुओ ने पहुंच कर गंगा में स्नान कर पुण्य का लाभ कमाया। पुलिस प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था के लिए पूरे मेला क्षेत्र को ग्यारह जोन छत्तीस सेक्टर में बांटा गया था। भारी संख्या में वाहनों के तीर्थनगरी में पहुंचने पर यातायात व्यवस्था चरमराई। जाम खुलवाने के लिए पुलिस को भारी मशक्कत का सामना करना पड$ा।
कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर मंगलवार से ही तीर्थयात्रियों का हरिद्वार आने का क्रम शुरू हो गया था।
बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही हरकी पौड$ी समेत अन्य गंगा घाटों पर स्नान करने वालों की भीड$ नजर आ रही थी। जैसे—जैसे समय बीतता गया गंगा घाट श्रद्धालुओ  से खचाखच भर गए। हरकी पौड$ी पर पुलिस प्रशासन स्नान करने वाले श्रद्धालुआें को गंगा में डुबकी लगाकर तत्काल गंगा से बाहर निकालने की अपील करता रहा। तीर्थयात्रियों ने गंगा स्नान कर मंदिरों में दान कर पुण्य का लाभ कमाया। श्रद्धालुओ  की भीड को देखते हुए ललतारो पुल से भीमगोडा तक किसी भी तरह का वाहन का प्रवेश पूर्ण रूप से प्रतिबंध था। अपर रोड-भीमगोडा रोड में पैदल चलने वाले श्रद्धालुओ  की भीड इतनी थी एक दूसरे का आगे खिसकने का इंतजार करना पड$ रहा था। हरकी पौडी  समेत अन्य गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओ की भीड का नजारा भी कुछ इस तरह ही था की गंगा की धारा के साथ जनधारा नजर आ रही थी। पुलिस प्रशासन की आेर से भीड को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई। प्लानिंग भले ही कंट्रोल करने में सफल नजर आई पर बढ$ती वाहनों की संख्या ने यातायात व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर आने वाले श्रद्धालुआें को जाम में फंसकर लंबा इंतजार करना पडा । ऋषिकुल से पंतद्वीप पार्किंग राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से वाहनों की लंबी कतारों से पटा रहा। यातायात पुलिस कर्मियों को जाम को खुलवाने के लिए पसीना बहाना पड$ा मगर जाम से निजात नहीं मिल पाई। बाहर से आने वाले वाहनों के लिए पुलिस की आेर से निर्धारित पार्किंग स्थल बनाए गए थे। पार्किंग स्थल राष्ट्रीय राजमार्ग से एक ही लाइन पर सटे होने के कारण वाहनों को निकलने में काफी कठिनाई झेलनी पड$ी। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर देर शाम तक चलता रहा। पुलिस प्रशासन का अनुमान है कि करीब 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालुआें ने गंगा में स्नान किया। गंगा स्नान के लिए हरकी पौड$ी के अलावा उत्तरी हरिद्वार में बनाए गए गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुआें का सैलाब देखने को मिला।

कार्तिक पूर्णमासी का गंगा स्नान हरकी पेडी पर और आसपास  गंगा तटों पर प्लास्टिक, पुराने कपड़े और कूड़ा छोड़ते लोग मां गंगा की पवित्रता को आहत कर रहे थे। स्नान घाटों पर पॉलीथिन, थैलियाँ और प्रसाद के पैकेट बिखरे पड़े थे। गंगा की निर्मलता पर यह दृश्य गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर गया। हरकी पौड़ी और आसपास पुलिस व स्वयंसेवक तैनात रहे, लेकिन भीड़ प्रबंधन में गंभीर खामियाँ सामने आईं। पंतदीप पुल पर दोनों दिशाओं से भीड़ का आवागमन हो रहा था — आने और जाने वालों की एक साथ भीड़ किसी बड़े हादसे का संकेत दे रही थी। यह स्थिति पूर्व के मनसा देवी हादसे की याद ताजा कर गई।हर की पौड़ी क्षेत्र में नगर निगम की ढिलाई स्पष्ट दिखाई दी। फूल-फरोशी के दो अधिकृत ठेकों के बावजूद दर्जनों अवैध फ़ड मालवीय घाट पर सजते नज़र आये, जिन पर प्रतिबंधित प्लास्टिक और पॉलिथीन में प्रसाद व वस्त्र खुलेआम बिक रहे थे। नियमों के अनुसार इस क्षेत्र में कोई व्यापार निषिद्ध है, फिर भी “टीका लगवा लो, नेकर लेलो, पॉलिथीन लेलो” जैसी आवाजें तीर्थ स्थल को बाजार में बदल रही थीं। महिलाओं के लिए बनाए गए चेंजिंग रूम अपर्याप्त थे, जिससे कई महिलाएं खुले में कपड़े बदलने को विवश रहीं। मंदिरों के बाहर जूते-चप्पलों के ढेर लगे थे, वहीं इमरजेंसी गेटों के आगे तख्त और सामान रखे होने से रास्ता बंद हो गया था। हर की पौड़ी चौकी के पास दोपहिया वाहनों की अवैध पार्किंग श्रद्धालुओं के आवागमन में बाधा बनी रही।हर की पौड़ी क्षेत्र में फैली गंदगी और पॉलिथीन का अंबार गंगा स्वच्छता मिशन के दावों पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। श्रद्धालुओं का सवाल था कि आखिर “पवित्र हर की पौड़ी कब सच में स्वच्छ और दिव्य बनेगी?”हर की पौड़ी का दृश्य एक ओर भक्ति और प्रकाश का उत्सव था, तो दूसरी ओर प्रशासनिक उदासीनता और अव्यवस्था का आईना भी। मां गंगा की आराधना तभी सार्थक होगी जब श्रद्धा के साथ अनुशासन और स्वच्छता का भाव भी जुड़ा रहेगा।हरिद्वार की कार्तिक पूर्णिमा ने एक बार फिर यह दिखाया कि जहाँ करोड़ों आस्थावान जन मां गंगा के चरणों में श्रद्धा समर्पित करते हैं, वहीं स्वच्छता और व्यवस्थापन की कमी इस तीर्थ की गरिमा पर धब्बा बनकर उभरती है। बड़े गंगा स्न्स्नो की जिम्मेदारी केवल पुलिस और प्रशासन की नहीं मोके पर करम कांड करने वाले पुरोहित समाज और व्यापारियों और स्थानीय जानता की भी बराबर की होनी चाहिए उन्हें प्रशासन को पूरा सहयोग करदन करना चाहिए

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