सब को पता है अवैध खनन चलाने वाला कोन, क्यों है प्रशासन मौन..?
हरिद्वार।
पुरानी कहावत है कूड़ी के भाग 12 वर्षो में एक बार जाग ही जाते है। ये कहावत जनपद के एक खनन व्यवसायी पर लागू होती नजर आ रही है, करीब एक दशक तक बड़े खनन व्यवसायियों के साथ लग कर कार्य करने वाला एक छोटा व्यवसायी का भाग्योदय वर्ष 2024 के अंत मे हुआ, जो इसके ऊपर जिले के एक आला अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त होते ही वर्तमान में अच्छे अच्छो की घंटी बजा रहा है। खनन मंडी के कई बड़े व्यवसायियो को किनारे लगा दिया गया है। साहब के रुतबे के चलते न पुलिस न प्रशासन न पत्रकार न ही गंगा प्रेमी सब चुप्पी साधे हुए है। गोपनीय शिकायत करने वालो की गोपनीयता भंग कर डिटेल व्हाट्सएप पर प्राप्त हो जाती है, फिर उनकी अकल ठिकाने लगाई जाती है। वैध परमिशन की आड़ में अवैध खनन का खेल धडल्ले से खेला जा रहा है। मंडी में तीनो क्रेशरों पर भंडार भरे पड़े है। जिस पर कोई पूछने वाला भी नही कहां से ओर कैसे भरी जा रही खनन सामग्री। हालात ये है कि अब बाड़ खेत नही गंगा को खा रही है। वॉटर रीसाइकलिंग के नाम पर लाख कुंतल की परमिशन पर करोड़ो कुंतल खनिज अवैध निकाला जा रहा है। जिला प्रशासन पूरी तरह कुम्भकर्णी निद्रा में है। वॉटर रीसाइकलिंग के नाम पर किया जा रहा खनन कुछ क्रशरों में पहाड़ के रूप में परिवर्तित हो गया है तो वहीं जहां पर वॉटर रीसाइकलिंग किया जा रहा है पूरी झील बना दी गई है आप वीडियो में देख सकते हैं किस तरीके से पोकलैंड के द्वारा खनन किया जा रहा है इतना ही नहीं यहां पर सिक्योरिटी भी बड़ी टाइट की गई है। यदि कोई अधिकारी पदार्था धनपुरा से आगे खनन मंडी की ओर जाता है। उसे डर रहता कही अपना वरदहस्त देने वाले आलाधिकारी बुरा न मान जाए। भले ही पूरा गांव मौत की झील बन बन जाये पर साहब बुरा न मान जाए।
क्रमशः
https://youtube.com/shorts/wpuBj0utWUc?si=aEVs_ZqVnJjCKieO