हरिद्वार।
हरिद्वार लोक सभा क्षेत्र से किसी संत को ही लोस प्रत्याशी के रुप में टिकट दिये जाने की मांग लम्बे अरसे से चल रही है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सहित विभिन्न संत संगठनों द्वारा यह मांग समय समय पर अपने मंचों से की जाती रही है। पूर्व विधायक जगदीश मुनि महाराज के श्रद्धांजलि समारोह में भी यह मांग संतों द्वारा प्रमुखता से उठाई गई। लेकिन इस सभा में किसी के नाम का जिक्र नहीं किया गया। ऐसे में कुुछ वरिष्ठ संतों द्वारा एक अलग स्थान पर गुप्त मीटिंग आयोजित की गई। मीटिंग में काफी विचार विमर्श के बाद चार संतों का एक पैनल बनाया गया। जिसमें महामंडलेश्रवर यतीन्द्रानन्द, ममं प्रबोधानन्द, यतीश्वरानन्द व स्वामी ममं रुपेन्द्र प्रकाश के नाम शामिल किये गये। आमतौर पर धर्म नगरी से किसी संत को ही लोकसभा में भेजने की बात समय समय पर चर्चाआें में रही है। लेकिन ऐसे में संत समाज व आम लोगों में इन चार नामों पर विचार किया जाने लगा है। कुछ लोगों ने कहा कि स्वामी यतीन्द्रानन्द पहले से ही अपनी किस्मत अजमा कर फेल हो चुके हैं तो वहीं स्वामी प्रबोधानन्द केवल सोशल मीडिया की सुर्खियों तक सीमित रह कर अपना जन आधार स्थापित नहीं कर पाये। स्वामी यतीश्वरानन्द के बारे में कहा जाये तो वह दो बार के विधायक व एक बार के मंत्री रहने के बावजूद अपने सीमित क्षेत्र से बाहर न अपनी पैठ बना पाये हैं न ही खनन माफियाओं को संरक्षण देने के आरोपों को मिटा पाये है। ऐसे में जाहिर है जिन चार संतों का पैनल बनाया गया है। उनमें उम्र के हिसाब से युवा संत रुपेन्द्र प्रकाश व अपेक्षाकृत किन्हीं आरोपों से वंचित तथा आरएसएस की नजदीकियों के चलते रुपेन्द्र प्रकाश का नाम इन संतों के पैनल में सबसे भारी दिखाई दे रहा है। यह वक्त ही बतायेगा कि यदि संत समाज से भाजपा किसी का नाम तय करती है तो उसका वजन और एहमियत संघ या संगठन क्या और किस तरह तय करता है।