हरिद्वार।
राममंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि राम जन्म भूमि के लिए चले आंदोलन में तत्कालीन सरकारों ने अनेक बाधाएं पहुंचायी। लेकिन कड़े संघर्ष के बाद सफलता मिली और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ।
प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने अयोध्या आंदोलन पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या, काशी और मथुरा सनातन धर्म के प्रमुख केंद्र हैं। इसलिए आक्रांताओं ने इन्हें निशाना बनाया। सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद हिंदू समाज को अयोध्या, काशी और मथुरा को लेकर भी उम्मीद बंधी। लंबे आंदोलन और कानूनी संघर्ष के बाद अंतत: 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। स्वामी चिन्मयानंद ने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल में अयोध्या मुद्दे से जुड़े दोनों पक्षों के लोग समझौता करने को तैयार हो गए थे। लेकिन अंग्रेज सरकार ने समझौता नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के मामले में जो तथ्य सामने आए हैं। उससे जल्द ही निर्णय हिंदुओं के पक्ष में होने की उम्मीद है। इससे मथुरा को लेकर भी उम्मीदें बढ़ी हैं। उन्होंने दूसरे पक्ष से जिद छोडने की अपील भी की। स्वामी चिन्मयानंद ने साधु संतों की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए झूठे मुकदमे दायर किए जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें सार्वजनिक जीवन से अलग करने के लिए उनके खिलाफ धारा 376 के दो—दो मुकदमे दायर किए गए। लेकिन उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। उन्होंने अदालती कार्रवाई का सामना किया और उन्हें न्याय मिला। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में वापसी करने के बाद वे सनातन धर्म संस्कृति के प्रति आम जनमानस की आस्था को और मजबूत करने की दिशा में चल रहे प्रयासों को आगे बढ$ाएंगे। एक सवाल के जवाब में स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि संत को टिकट देकर पहले भी दिया गया था जिसे जनता ने नकार दिया था। कहा कि हरिद्वार की जनता साधू संतों को धर्मगुरू के रूप में ही देखना चाहती है न कि राजनेता के रूप में। संत आशीर्वाद देन के लिए है उनके आगे सभी नतमस्तक होते है।