उत्तराखंड धर्म हरिद्वार

शरीर के बारह अंगों के समान भगवान भी द्वादशांग हैं: सूर्यकांत बलूनी

हरिद्वार।
जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित शिव महापुराण कथा आठवें दिन की कथा का श्रद्धालु भक्तों को श्रवण कराते हुए कथा व्यास सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि जिस प्रकार जीव के शरीर में 12 अंग हैं। वैसे ही भगवान भी द्वादशांग है। दो चरण, दो जंघा, पेट ,कमर, वक्षस्थल, ग्रीवा, मुख, ललाट और सिर। यही संसार के 12 ज्योतिर्लिंग है। इन 12 अंगों को शिव 12 रुप से नियंत्रित व सक्रिय रहते हैं। 12 ज्योॢतङ्क्षलगों में पहले हैं सोमनाथ -चंद्र ध्याने मन के नाथ। दूसरे हैं मल्लिकार्जुन—मल्लिका यानि गौरी, बुद्धि। इसके लिये ऊँ कार का ङ्क्षचतन ध्यान आवश्यक है। ऊँ कार में 5 देव हैं-ब्रह्मा ध्याने ज्ञान, विष्णु ध्याने कर्म, शिव ध्याने ध्यान, दुर्गा ध्याने क्रिया, गणेश विवेक। बुद्धि इन पांच का अनुसंधान निरंतर करती है। तीसरा ज्योतिॄलग है महाकाल—ध्याने समय से चलना, सबकुछ काल समय के अधीन है। चौथा है अमलेश्वर-ध्याने अमल ध्याने मैल रहित ध्याने बाहर भीतर की शुद्धता। पाँचवाँ है केदार- इसके तीन अर्थ हैं। जल की तरह सहज सरल सरस बन प्रवाहित रहना। फ लदार वृक्षवत परोपकार। हिमालय ध्याने दृढसंकल्पित तपस्वी। छठवाँ है भीमाशंकर-कुंभकर्ण के पुत्र भीमा सुर ने आतंकवाद फैलाया तो कामेश्वर राजा ने शिव को मनाया। सत् कामना से शिव ने सुख दिया। सतकामना से आसुरी भाव भी पूजित होता है। उसी के नाम से शिव नाम हुआ। सातवाँ है-विश्वनाथ—आनंदवन, जहां मोक्ष भी आनंदित रहता है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य, श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष संतोष गुप्ता, भगवा ङ्क्षहदू सेना राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप रोड$, राष्ट्रीय संगठन मंत्री रमाकांत यादव, सदस्य उदय चौधरी, साध्वी राधा गिरी, साध्वी तपस्या गिरी, महंत शुभम गिरी, जलज कौशिक, अस्मित कौशिक, विष्णु गौड, मनोज अग्रवाल, शोभित गुप्ता, अनिल तिवारी ने व्यास पीठ का पूजन और आरती की। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने कहा कि धाॢमक कार्यक्रमों के माध्यम से कैदियों के जीवन में बदलाव आए। यही कथा आयोजन का उद्देश्य है। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि श्री शिव महापुराण कथा कल्याणकारी है। कथा के श्रवण से कैदियों की मनोदशा में अवश्य बदलाव आएगा।

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