धर्म हरिद्वार

निर्जला एकादशी के ये छह नियम जो आप को नही पता

हरिद्वार।

आज दिन मंगलवार को ही निर्जला एकादशी है।
एकादशी के व्रत में स्मार्त और वैष्णव के अलग-अलग नियम है।
जिसे दो भागों में बांटा जा सकता है-
प्रथम निर्णय नियम जिसे सामान्य नियम कहा जा सकता है ( इसमें तीन सामान्य नियम एवं 6 विशेष नियमों में एकादशी व्रत का निर्णय दिया गया है)
सामान्य न्यू मा लागू होता है जहां एकादशी या द्वादशी कक्षा या वृद्धि घटित ना हो इस सामान्य नियम को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
#1 अरुणोदये दशमी विद्धा एकादशी नियम
#2 सूर्योदये दशमी विद्धा एकादशी नियम
#3 शुद्धा ( अरुणोदय और सूर्योदय – दोनों कालों में दशमी से अविद्धा) एकादशी नियम
दूसरा निर्णय नियम जिसे विशेष नियम कहा जा सकता है वहां लागू होता है जहां एकादशी या द्वादशी का क्षय अथवा वृद्धि घटित हो। इस विशेष नियम को छह भागों में बांटा गया है –
#1 एकादशी वृद्धि – द्वादशी क्षय
#2 द्वादशी वृद्धि
#3 एकादशी वृद्धि
#4 द्वादशी क्षय
#5 एकादशी क्षय – द्वादशी वृद्धि
#6 एकादशी क्षय
इन नियमों में से अनेक नियम सामान्य नियमों से अनेक अपवाद है इस प्रकार एकादशी व्रत निर्णय के यह तीन सामान्य और छह विशेष इस तरह कुल नौ नियम होते हैं।
यहां विशेष नियम के अंतर्गत इस वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को विशिष्ट नियम का तीसरा बिंदु लागू होते हुए-
जिसमें कहा गया है –
एकादशी की वृद्धि होने पर समार्त एवं वैष्णव दोनों द्वादशी युता एकादशी के दिन व्रत करते हैं।
यह नियम दशमी द्वारा अरुणोदय का वेध एवं अवैध दोनों स्थितियों के समान है।
जिसमें नारद जी का यह मत पूर्ण समर्थन करता है.
संपूर्णेकादशी यत्र प्रभाते पुनरेव सा।
सर्वेरेवोत्तरा कार्या परतो द्वादशी यदि ।।
अर्थात पहले दिन यदि षष्टि घट्यात्मक एकादशी हो और दूसरे दिन भी वह विद्यमान हो।
तब सभी स्मार्त और वैष्णवो को दूसरे दिन व्रत करना चाहिए, बशर्तें की वहां
द्वादशी का क्षय न हुआ हो।
इस वर्ष दिनांक 18 जून को यह स्थिति स्पष्ट रूप से बन रही है अतः निर्जला एकादशी का व्रत वैष्णव और स्मार्त दोनों ही मतों को मानने वालों के लिए स्पष्ट रूप से मंगलवार को ही संपन्न होगा।

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