हरिद्वार।
अभिमान एवं मय का दमन करने वाला ही बुराई रूपी रावण का अन्त कर सकता है। राम की लीलाये राम के चरित्र को जीवन मे धारण करने की प्रेरणा देती है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, उत्तराखण्ड द्वारा विजयदशमी के पावन पर्व पर यज्ञ एवं श पूजन करके पुरातन एवं हिन्दू मान्यताआें का सम्मान किया। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव एवं वैदिक विद्वान प्रो भारत भूषण विद्यालंकार के सानिध्य में राजपूत धर्मशाला परिसर के महाराणा प्रताप सभागार मे यज्ञ के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के पूजन के साथ श पूजन किया गया। भगवान राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए प्रो भारत भूषण ने कह कि रामायण मे राजा जनक के समान कोई ब्रहमज्ञानी नही हुआ। जिन्होने राजा होते हुये भी ज्ञान की पराकाष्ठा एवं वैरागी सन्त का जीवन यापन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्रेम सिंह राणा ने कह कि राजा दशरथ के घर मे चार पुत्र राम, लक्ष्मण भरत तथा श$त्रुघन साक्षात धर्म, अर्थ काम और मोक्ष के रूप थे। जिन्होने अपने सम्पूर्ण जीवन मे मर्यादात जीवन का पालन किया। क्षत्रिय महासभा के महामंत्री डा शिवकुमार चौहान ने एेश्वर्य, धर्मवेत्ता, यश, श्री तथा वैराग्य भगवान के पंच गुणों पर चर्चा की। इस अवसर पर वरिष्ठ महेन्द्र सिंह नेगी, लोकेन्द्रपाल सिंह, जिलाध्यक्ष शेखर राणा, जिला सचिव सुशील पुंडीर, अजय राणा, मनवीर सिंह, डा. बिजेन्द्र सिंह, रविकिशोर सिंह, लालसिंह, अनिल चौहान, दिनेश कुमार सिंह, पीयूष राठौर, तनुज शेखावत, समीर राणा, उमेन्द्र सिंह, मदनपाल सिंह पुंडीर, प्रवीण कुमार सिंह, सोनू चौहान, देवेन्द्र पुंडीर आदि उपस्थित है।