लालढांग।
यूक्रेन में चल रहे खूनी संघर्ष की आग ने जहां पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है, वहीं इस युद्ध की गर्मी उत्तराखण्ड में भी पहुंच चुकी है। हालांकि भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार भी अपने नागरिकों को वापस लाने की पूरी कोशिश में लगी हुई है। बड$े—बड$े शहर ही नही अपितु छोटे-छोटे गांव देहात भी यूक्रेन के खूनी संघर्ष की तपिश में जल रहे हैं। ऐसा ही एक परिवार हरिद्वार जिले के लालढांग ग्राम सभा मे तथा एक परिवार जगजीतपुर में भी रहता है। लालढांग के मोहलपुरी गांव के निवासी राजेन्द्र प्रसाद कुकरेती ने भी अपनी बड$ी कंचन कुकरेती तथा जगजीतपुर निवासी रविन्द्र कुमार सैनी ने अपने पुत्र वैभव को मेडिकल की बेहतर शिक्षा के लिए यूक्रेन भेजा था। जिससे वह मेडिकल की बेहतर शिक्षा हासिल कर उत्तराखण्ड में अपनी सेवाएं दे सके। वैभव सैनी यूक्रेन के खरकीव शहर में मेडिकल कालेज का छात्र है। जबकि कंचन 31 नवम्बर 2021 को पढयी के लिए यूक्रेन रवाना हुई थी, वर्तमान में वह यूक्रेन के ईवानो शहर के ईवानो नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी ईवानो में एमबीबीएस की प्रथम वर्षीय छात्रा है। जैसी कंचन के परिवार को इस युद्ध के बारे में पता चला तब से कंचन के माता—पिता की आंखों में न तो नींद है न ही भूख। कंचन के पिता राजेन्द्र प्रसाद कुकरेती ने बताया कि बेटी से फोन पर बात हुयी किन्तु कनेक्टिविटी के चलते थोडी देर ही बात हो पाती है। उधर वैभव के परिजनों का कहना है कि जब से यूक्रेन व रुस के बीच तनाव बढ़ा है, तब से वह सब बहुत चिन्तित है। परिजनों ने बताया कि उनकी वैभव से एक-दो बार हुई, वह बहुत डरा हुआ था। उसने बताया कि वह यहां से जल्द निकालने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नही मिल पाई। परिजनों ने बताया कि पीएमओ में भी इस बारे में अवगत कराया गया है। कंचन सबसे बडा है दो छोटे भाई बहन भी कंचन की वापसी को लेकर परेशान हैं। सोशल मीडिया न्यूज चैनल अखबार हो या पीएमआे का ट्विटर हैंडल ऐसी कोई भी रास्ता नही जिन पर कंचन व वैभव का परिवार मद्द के लिए नही जा रहा हो।