उत्तराखंड हरिद्वार

जहां शिव लिंग रूप में स्थापित होते हैं वह स्थान साक्षात कैलाश पर्वत के समान पवित्र हो जाता

सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर में श्री शिवमहापुराण में कथा व्यास महंत प्रदीप गोस्वामी महाराज नेकहा कि जिस स्थान पर शिव ङ्क्षलग रूप में स्थापित होते हैं। वह स्थान साक्षात कैलाश पर्वत के समान पवित्र हो जाता है। जहां शिव सदा सपरिवार निवास करते हैं और जहां शिव है वही कल्याण रिद्धि सिद्धि इत्यादि निवास करती है। शिव पूजन को कभी ग्रह बाधा, प्रेत बाधा एवं संसार में अन्य कोई दुख नहीं होता। शिव भक्त के दर्शन मात्र से बड$े—बड$े पाप समाप्त हो जाते हैं। दर्शनार्थी का भाग्योदय हो जाता है। महाराज श्री ने आज की कथा प्रसंग में शिव के अनेक अवतारों का वर्णन करते हुए द्वादश ज्योतिॄलग कथा एवं पूजन रहस्य को सबके सामने कहा महाराज श्री ने कहा जो इन ज्योतिॄलगो के दर्शन करता है उसके समस्त दु:ख तुरंत समाप्त हो जाते है। कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी, राकेश मालवीय, तेजप्रकाश, दिलीप गुप्ता, दिनेश उपाध्याय,अनिल चौहान, विष्णु समाधिया,मान दाता, हरिनारायण त्रिपाठी, सुनील चौहान, होशियार ङ्क्षसह, राम ललित गुप्ता, एल डी मेहता, मोहित तिवारी, अलका शर्मा, पुष्पा गुप्ता, नीलू त्रिपाठी, सबिता, नीरु गौतम, सुनीता चौहान, पूनम, संतोष चौहान, मंजू, रेनू, मनसा मिश्रा, गीता, विनीता, सरला, अंजू पंत, नीता ङ्क्षसगल, राजकिशोरी मिश्रा, विभा गौतम, कुसुम गेरा, संगीता मेहतो, विनोद देवी, अनपूर्णा मिश्रा, उमा राणा, विनीता देव
, बबिता, कौशल्या, मिनाक्षी और अनेको श्रोतागण सम्मिलित हुए।

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