हरिद्वार।
मेरठ से बद्रीनाथ तक सर्वोदय शांति यात्रा निकाल रहे जैन मुनि डा. मणिभद्र शुक्रवार को पतंजलि योगपीठ पहुंचे। यात्रा का पतंजलि योगपीठ में दो दिवसीय पड़ाव होगा। स्वामी रामदेव महाराज ने जैन मुनि का भव्य स्वागत करते हुए कहा कि जैन मुनि डा. मणिभद्र जैन धर्म के महान संत हैं। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन सत्यान्वेषी है। जिसमें जैन श्रमण, साधु, साध्वी एक स्थान पर न रहकर विहार भ्रमण करते रहते हैं। यह यात्रा भी उसी का विग्रह रूप है। स्वामी रामदेव ने कहा कि जैन धर्म में अहिंसा, तप, दान और शील को मुक्ति का मार्ग बताया गया है। जैन मुनि डा. मणिभद्र ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज से उनका भ्रातवत आत्मीय संबंध है। पतंजलि योगपीठ भ्रमण का उनका यह तीसरा अवसर है। इससे पूर्व वे 207 व 2१1 में पतंजलि योगपीठ आ चुके हैं। पतंजलि के विविध सेवा प्रकल्पों पतंजलि अनुसंधान संस्थान, पतंजलि वैलनेस सेंटर, पतंजलि कन्या गुरुकुलम् व पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल आदि का भ्रमण कर उन्होंने कहा कि गत यात्रा के पश्चात पतंजलि ने अपनी सेवापरक गतिविधियों में अभूतपूर्व विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी कार्य कर रहा है। डा. मणिभद्र ने कहा कि वनस्पतियों व पर्यावरण के लिए स्वामी रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण के पुरुषार्थ को देखकर सुखद अनुभूति हुई है। उन्होंने बताया कि वनस्पतियों में 24 लाख प्रकार का वर्णन है। इनका पता व इन पर अनुसंधान आप्त पुरुष ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने 4 लाख वनस्पतियों पर अनुसंधान कर आयुर्वेद के रहस्यों को उजागर किया है। यह सम्पूर्ण मानव जाति की ही नहीं, पर्यावरण की भी सेवा है। जैन मुनि ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म, षट्कर्म, योग, आयुर्वेद द्वारा चिकित्सकीय सेवाएं, शिक्षा, कृषि, अनुसंधान, गौ-संरक्षण, उद्योग आदि की एक ही स्थान से उत्ष्ट सेवाओं की व्यक्ति मात्र कल्पना कर सकता है। किन्तु पतंजलि योगपीठ ने इसे साकार रूप दिया है। पतंजलि की सेवाओं का लाभ वैश्विक स्तर पर लाखों-करोड़ों लोगों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि स्वार्थ से ऊपर उठकर ही मनुष्य परमार्थी बनता है। इस दौरान उप—प्रवर्तक अभिषेक मुनि व आशीष मुनि भी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि जैन मुनि डा. मणिभद्र आजीवन पदयात्री हैं और वर्ष में 8 माह भ्रमण करते हैं। चतुर्मास में चार माह के लिए यात्रा पर विराम रहता है। बाकी दिनों में यात्रा निरंतर चलती रहती है। जिसमें बिना कारण 28 दिन से अधिक का विराम नहीं रहता। 23 फरवरी को मेरठ से प्रारंभ हुई उनकी सर्वोदय शांति यात्रा बद्रीनाथ धाम तक जाएगी। इससे पूर्व जैन मुनि लगभग 9 हजार किलो मीटर की पदयात्रा कर चुके हैं जिसमें कन्याकुमारी से जम्मू, मुम्बई, गुजरात, कोलकाता, गुवाहाटी, मेघालय, भूटान व सम्पूर्ण नेपाल आदि शामिल हैं।