पतंजलि विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित छात्र-छात्राआें का दीक्षारम्भ व यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न
हरिद्वार।
गुरु पूॢणमा के पावन पर्व पर पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में पतंजलि विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित लगभग 272 छात्राआें तथा 150 छात्र सहित कुल 422 विद्याॢथयों का दीक्षारम्भ व उपनयन संस्कार वैदिक रीति से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष स्वामी रामदेव महाराज व कुलपति आचार्य बालकृष्ण महाराज ने विद्याॢथयों को यज्ञोपवित धारण कराकर आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि आपका सौभाग्य है कि गुरुपूॢणमा के पावन पर्व पर आपका उपनयन, यज्ञोपवीत दीक्षा और दीक्षारम्भ समर्थ गुरुसत्ता की पवित्र उपस्थिति में हो रहा है। उन्होंने विद्याॢथयों को संकल्प दिलाया कि जीवन के अंतिम श्वास तक यज्ञोपवित धारण करना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सनातन धर्म, वेद धर्म, ऋषि धर्म तथा अपने पूर्वजों में द्रढता होनी चाहिए। अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा सनातन मूल्यों के साथ हम भारत ही नहीं पूरे विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व की पूजा करो, चित्र नहीं चरित्र की पूजा करो। अपना पुरुषार्थ करो और गुरु व भगवत् कृपा से आगे बढते रहो।
इस अवसर पर आचार्य महाराज ने कहा कि यज्ञोपवित मात्र प्रतीक नहीं है, यह हमारे सौभाग्य का पर्व है। जीवन के पूर्वाद्र्ध के बाद आप उत्तराद्र्ध की आेर जाएँगे यानि शिक्षा के उपरान्त सेवा कार्य करेंगे तब आपको यज्ञोपवीत की महत्ता का आभास होगा। उन्होंने आह्वान किया कि आप अपने पूर्वज ऋषि—ऋषिकाआें के अनुगामी बनें, उनके प्रतिनिधि बनें। आचार्य जी ने कहा कि आपको समाज में व्याप्त अज्ञानता व भ्रम को मिटाकर सनातन मूल्यों को प्रचारित—प्रसारित करना है।
कार्यक्रम में प्रति—कुलपति डा. महावीर अग्रवाल ने कहा कि पूरे विश्व में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है जहाँ शा स्मरण के लिए इतना प्रोत्साहित किया जाता है। हमारा लक्ष्य केवल विद्याॢथयों को केवल शिक्षा देना ही नहीं अपितु उनका समग्र व्यक्तित्व विकास कर उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करना है। सायंकालीन सत्र में छात्र-छात्राआें ने पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। साथ ही हाल ही में आयोजित तीन दिवसीय शा श्रवण प्रतियोगिता में चरक संहिता, चार वेद, भाष्य (योगदर्शन व न्यायदर्शन), अष्टांगहृदयम्, उपचार पद्धति, एकादशोपनिषद्, महाभाष्य (नवाकिम), धातुवृत्ति, काशिका, षड्दर्शन, पंचदर्शन, अमरकोश, योगविज्ञानम्, प्रथमावृत्ति, श्रीमद्भगवद्गीता, हठप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता, चाणाक्य नीति, विदुर नीति तथा अष्टावक्र गीता में विजेता प्रतिभागियों को मेडल, प्रशस्ति पत्र तथा पुरस्कार राशि प्रदान की गई। सम्पूर्ण शा स्मरण करने वाले 3१ प्रतिभागियों का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हेतु हुआ है जो 4 अगस्त को आयोजित होगी। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय की मानवीकी संकायाध्यक्षा साध्वी देवप्रिया, बैंगलोर से प्रो. शिवानी, स्वामी परमार्थदेव, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, प्रति कुलपति डा. महावीर अग्रवाल, मुख्य परामर्शदाता प्रो. केएनएस यादव, सहित समस्त सन्यासीगण, अधिकारीगण, शिक्षकगण व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।