हरिद्वार।
एस.एम.जे.एन. काॅलेज में आज आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत यौगिक सांईस एवं प्रेक्टिस विषय पर योग क्रियाओं हेतु काॅलेज के व्याख्यान कक्ष में योग से सम्बन्धित एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ योगाचार्य रजनीश, प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा, डाॅ मन मोहन गुप्ता व डाॅ. तेजवीर सिंह तोमर डॉ जे सी आर्य, विनय थपलियाल द्वारा माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर एवं द्वीप प्रज्जवलित करके किया गया।
योगाचार्य रजनीश ने मनुष्य के जीवन में योग के महत्व पर प्रकाश डालते बताया कि भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्स्थ्य के लिए योग की आवश्यकता को प्रायः सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है
योग की कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए योगी रजनीश जी ने शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं को योग अभ्यास की जानकारी देते हुए अभ्यास भी कराया। आसनो की महत्ता को विस्तार से बताते हुए योगी जी ने कहा कि आसनो के अभ्यास से मानव शरीर की जड हो चुके जोड़ एवं मांस-पेशियां लचीली हो जाती है जिससे शरीर की उर्जा का विस्तार होने लगता है। योगी जी ने बताया कि महर्षि पतंजली के अनुसार योग की परिभाषा है ‘’स्थिरं सुखं आसनं‘’ अर्थात स्थिरता पूर्वक किसी भी स्थिति में सुख से लम्बे समय तक बैठे रहना ही आसन कहलाता है। है। योगी रजनीश ने बताया कि योग अभ्यास द्वारा मनुष्य अपने शरीर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक उर्जा में परिवर्तित कर सकता है, जिससे उसके भीतर एक नवीन उर्जा का संचार होता है तथा रोग, शोक, दुख तनाव आदि स्वतः ही समाप्त हो जाते है।
योगी जी ने सभी साधको को कमर दर्द, सर्वाइकल, मधुमेह, ब्लड-प्रैशर, मोटापा, माईग्रन आदि समस्याओ से सम्बन्धित योग आसनो में स्कंध चालन, गोरक्षासन, नाड़ी संचालन, ताड़ासन, आदि के साथ ही इन्द्रियों की एकाग्रता के साथ ही मन की शांति के लिए प्राणायामक अभ्यास भी कराया। योग अभ्यास में सभी को लेटने, बैठने एवं खडे होने वाले विभिन्न प्रकार के आसन कराये जिसमें विशेष रूप से स्कंध चालन का अभ्यास कराया तथा महत्व बताया कि इससे कमर र्दद सम्बन्धित रोगों के साथ ही पेट सम्बन्धित रोगों में भी लाभ मिलता है तथा व्यक्ति को तनाव में भी आराम मिलता हैं। साथ ही सभी साधको को शारीरिक एवं मानसिक संतुलन के लिए प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया।
योगी रजनीश जी ने आगे कहा कि आज मनुष्य व्यस्त जीवन शैली के चलते विभिन्न रोगो से ग्रस्त हो चुका है जैसे सर्वाइकल, मधुमेह, ब्लड प्रेशर आदि। अतः इन सबसे छुटकारा पाने का एक मात्र साधन योग अभ्यास ही है। यदि मनुष्य योग अभ्यास करता है तो वह स्वयं तो स्वस्थ रहता ही है अपितु अपने साथ जुड़े अन्य लोगो को भी स्वस्थ जीवन जीने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है।
आगे योगी जी ने बताया कि आसनो द्वारा मांसपेशियां तथा शरीर के जोड़ स्वस्थ रहते है जिससे मनुष्य लम्बी आयु तक अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है। योगी जी ने सभी साधको को अनुलोम-विलोम, कपांल भांति, भ्रामरी आदि प्राणायामों का अभ्यास भी कराया जिससे मानसिक एकाग्रता तथा बुद्धि का विकास होता है।
योगाचार्य ने बताया कि वैदिक, जैन और बौद्ध दर्शनों में योग का महत्व सर्वमान्य है, सविकल्प बुद्धि और निर्विकल्प प्रज्ञा में परिणित करने हेतु योग साधना का महत्व सर्वमान्य स्वीकृत है।
काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि आधुनिक युग में मनुष्य की व्यस्तता और मन की व्यग्रता के कारण योग का महत्व बढ़ गया है। आधुनिक व्यक्ति चित्त या मन अपने केन्द्र से भटक गया है, उसके अन्तर्मुखी और बर्हिमुखी होने में सन्तुलन नहीं रहा, जिसका परिणाम सम्बन्धों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।
कार्यशाला का संयोजन समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य द्वारा किया गया तथा अन्त में धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल द्वारा किया गया. कार्यक्रम में महाविद्यालय के तीन छात्र-छात्राओं हिमांशी एम ए समाज शास्त्र, सैजल बी.ए. चतुर्थ सेम तथा गौरव बंसल बी.काॅम. चतुर्थ सेम ने मन मोहक योगा प्रस्तुति दी जिसकी योगी रजनीश ने मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की।
इस अवसर डाॅ. विनीता
चौहान, श्रीमती रिचा मिनोचा, डाॅ. शिवकुमार चौहान, डाॅ. मनोज सोही, डाॅ. प्रदीप त्यागी, श्रीमती कविता छाबड़ा, श्रीमती रिंकल गोयल, वैभव बत्रा,डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. निविन्धया शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, डाॅ. रूचिता सक्सेना, अन्तिम त्यागी, डाॅ. अमिता मल्होत्रा, डाॅ. सुगन्धा वर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, दीपका आनन्द, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, विनीत सक्सेना, डाॅ. पुनीता शर्मा, प्रियंका प्रजापति, नेहा गुप्ता, योगेश्वरी, संतोष, पूजा, दिव्याश शर्मा आदि उपस्थित थे।