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पीडित परिजनों से मिले प्रशासन के अधिकारी

हरिद्वार।
लालढांग से पौडी जिले के कांडा गांव जा रही बारात की बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से दर्जनों लोगों की मौत के बाद पूरे जिले में शोक का माहौल है। बस दुघर्टना की जानकारी मिलने के बाद से ही जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय पौडी जिला प्रशासन से लगातार सम्पर्क बनाये हुये हैं। उन्होंने जिला प्रशासन हरिद्वार के अधिकारियों को बस दुर्घटना में प्रभावित लोगों के परिजनों को हर सम्भव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। निर्देशों के तहत अपर जिलाधिकारी पीएल शाह, एसडीएम पूरन सिंह राणा एवं लालढांग पुलिस चौकी प्रभारी ने लालढांग गांव पहुंचकर ग्रामीणों को पीडित परिजनों को सांत्वना दी और प्रशासन की और हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।

हरिद्वार।
लालढांग से पौडी गढवाल कांडा गांव जा रही बारात की बस सिमडी गांव में करीब चार सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरी। बताया जा रहा है कि बस की कमानी टूटने की वजह से यह हादसा हुआ। रात से चले रेस्क्यू अपरेशन के कारण घायलो को कोटद्वार हास्पिटल, जोलीग्रांट, ओर एम्स में भर्ती कराया गया। देर शाम तक सर्च अपरेशन जारी रहा। बस में 45 से 50 बाराती सवार थे। जिनमें से दोपहर तक 22 के आसपास शवो को निकाला जा चुका था। घायलो का हाल जानने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ रमेश पोखरियाल निशंक भी पहुंचे। वही दूसरी तरफ लालढांग में शादी वाले घर मे पूरा मातम छाया हुआ है, साथ पूरा बाजार बंद था मानो पूरे में मातम पसरा हुआ था। दशहरा का मेला होने के बाद भी मेले में आयी दुकानें भी सुबह ही वापस लौट गयी। घायलो का हाल चाल जानने पूरा लालढांग व आसपास के गांव वाले कोटद्वार हास्पिटल में पहुंचे थे। दूल्हे की माँ को मंगलवार शाम की घटना की जानकारी मिलते ही रो— रो के बुरा हाल था, खबर सुनते ही शिव मंदिर में जाकर रोती रही मानो अपनो की वापसी की कामना कर रही हो। क्योंकि इस हादसे में दूल्हे के बडा भाई भी मौत के आगोश में जा चुका था। हादसे में किसी परिवार के दो तो किसी परिवार के चार सदस्य को मौत ने अपनी आगोश में ले लिया। शादी समारोह के लिए टैंट भी पूरी तरह नही लग पाया था कि वापस समेटना पड$ा। मंगलवार शाम को बारात दुल्हन को लेने निकली थी और बुधवार शाम को रिशेप्सन पार्टी होनी थी। अभी पूरी तरह टेंट लग भी नही पाया था कि हादसे की खबर मिलते ही टेंट उतारना पडा, कारीगरों का चूल्हा ही नही जला तो टेंट के बर्तन भी जैसे आये वैसे ही वापस चले गए।

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