हरिद्वार।
पंच तत्वों से बने शरीर का शुद्धिकरण होना खिलाडियों के लिए विशेष महत्व रखता है। खिलाडी की ऊ र्जा का तारतम्य प्रदर्शन स्तर को बढाता है। सिंथेटिक का बढता चलन युवाआें की ऊ र्जा में बाधक बन रहा है। पदमश्री एवं विश्व की प्रथम महिला जिन्हें दो बार एवरेस्ट फतह करने का गौरव हांसिल है, एेसी पर्वतारोही डा. संतोष यादव ने गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग, दयानंद स्टेडियम प्रांगण मे तीन दिवसीय आल इण्डिया इन्टर यूनिवर्सिटी स्ैक्वश रैकेट चैम्पियनशिप के शुभारम्भ अवसर पर यह विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पहनावा एवं खान—पान का विशेष योगदान है। शरीर एवं मन की शान्ति खिलाडी की क्रिया शक्ति के लिए वरदान है। विशिष्ट अतिथि एवं वन्डर ग्रुप आफ कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत भलोटिया ने कहा कि हार-जीत जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू है। खिलाडी जीत को साथियों के साथ साझा करे तथा हार को नई ऊ र्जा के साथ फिर लक्ष्य साधकर सफलता मिलती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विवि कुलपति प्रो. रूपकिशोर शा ी ने कहा खिलाडी के जीवन मे वातावरण की अनूकुलता जरूरी है। गुरूकुल का वातावरण शैक्षिक एवं खेलों की दृष्टि से सर्वाेपयुक्त है। विशिष्ट अतिथि प्रो. आरकेएस डागर ने कहा कि नई पीढी द्वारा स्थापित किये जा रहे मानक भविष्य की सफलता को दर्शाता है। उन्होंने अपनी टीम की इस उपलब्धि पर प्रसन्ता जाहिर की। आयोजन सचिव डा. शिवकुमार चौहान ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कुलगीत तथा एआईयू एवं विवि ध्वजारोहण के साथ आरम्भ हुआ। अतिथियों का स्वागत उदबोधन डीन प्रो. सुरेन्द्र कुमार द्वारा किया। कुलसचिव डा. सुनील कुमार ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर आरसी दूबे, मनुदेव बंधु, दिनेश चन्द्र शा ी, विनय विद्यालंकार, वीके सिंह, श्यामलता जुयाल, नमिता जोशी, बिन्दु मलिक, अजय मलिक, गगन माटा, कपिल मिश्रा, अनुज कुमार, प्रणवीर सिंह, धर्मेन्द्र बालियान, कनिक कौशल, दुष्यंत राणा, पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त सिंह नेगी एवं प्रतिभागी टीमों के कोच तथा मैनेजर उपस्थित रहे।