हरिद्वार।
राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में बाधक विवकेश्वर मंदिर के अवैध निर्माण को हटाने के लिए शासन के निर्देश पर कराई गई जिला प्रशासन की कार्रवाई की आख्या उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग ने जिलाधिकारी से तलब की है। वहीं प्रशासन द्वारा सोमवार को अतिक्रमण को हटवाया गया।
राष्ट्रीय सूचना अधिकार जागृति मिशन अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में के दौरान सडक पर मौजूद गड्ढों के भरने के लिए पांच करोड़ रूपया दिया गया था। इसके बावजूद गड्ढों को ना भरने से नित्य वाहन दुर्घटनाआें से घायल व अक्समात मृत्यु के शिकार सैंकड़ों लोग हुए हैं। मानव अधिकार हनन तथा भोपतवाला क्षेत्र में होने वाले भयंकर जलभराव की समस्या के समाधान वास्ते सप्तऋषि चुंगी से लेकर पुराना आरटीआे चौराहा तक की सडको के दोनों तरफ प्रस्तावित बरसाती नाला व सर्विस रोड निर्माण में बाधक धनाढ्य राजनीति रसूख के प्रभावशाली लोगों के द्वारा अवैध निर्माण कराए गए। हिंदुत्व के नाम पर अवैध निर्माणों, होटलों की बाउंड्रीयो को ध्वस्त कराकर जल प्रवाह व आम नागरिकों के पैदल आवगमन वास्ते सर्विस रोड का उचित सुरक्षात्मक निर्माण कराने के लिए वर्ष 2017 में परिवाद संख्या 1828 दर्ज कराया गया था। जिसमें पक्षकार जिलाधिकारी हरिद्वार-देहरादून, एसएसपी हरिद्वार-देहरादून व निदेशक सचिव सडक मंत्रालय भारत सरकार को नामित किया गया था। उनके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्यवाही जन उपयोग के निर्माण कार्यों में अनावश्यक विलंब कराने व निर्माण घोटाला कराने के खिलाफ कार्यवाही कराने के लिए मानव अधिकार आयोग से अपील की थी। जिस पर गंभीर स्तर का संज्ञान लेते हुए जस्टिस आरएस मीणा ने सुनवाई की नियत तारीख 3 मई 2023 को जिला अधिकारी के गैर जिम्मेदाराना आचरण के प्रति लिखित में टिप्पणी की थी। क्योंकि जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा अतिक्रमण हटाने के संबंध में अभी तक आख्या प्रस्तुत नहीं की गई है। आयोग ने 17 अक्टूबर 2023 को स्वयं उपस्थित होकर या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से आंख्या आयोग समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले की सुनवाई के लिए पत्रावली 17अक्टूबर 23 को प्रस्तुत की जाने को कहा है।