आेउम नम: शिवाय के साथ जय श्रीराम,जय श्रीराधे के नाम से जलाभिषेक से भोलेनाथ का दुगना आशीर्वाद मिलेगा: बद्रीप्रपन्ना महाराज
हरिद्वार।
प्रेम नगर आश्रम में भगवान शिव के साथ रुद्राभिषेक किया जा रहा है नारायण की भागवत कथा का पाठ भी किया जा रहा है। कथा व्यास श्री 108 बद्रीप्रपन्ना महाराज आचार्य चित्रकूट वेंकटेश्वर धाम ने बताया कि जो भी भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके आराध्य भगवान नारायण को प्रसन्न करना भी ना भूले। आप देख सकते हैं कि इस समय हरिद्वार के यह एक संयोग मात्र नहीं है क्योंकि भगवान विष्णु और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनका संयुक्त रूप से पूजन अति आवश्यक हो जाता है। माता पार्वती और शिव का अटूट मिलन शिवरात्रि जन्म जन्मांतर से लोग मानते आ रहे हैं। हरिद्वार के कण—कण में भगवान शिव का वास है क्योंकि यहां पर एक तरफ जहां नील पर्वत पर माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए 30 वर्ष तक कठोर तप किया था तो वही भगवान भोलेनाथ की ससुराल दक्षेश्वर महादेव में पौराणिक मंदिर है इसके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर आते हैं लेकिन जैसे ही शिवरात्रि आती है तो यहां पर श्रद्धालुआें का तांता लग जाता है और हरिद्वार में भगवान शिव की स्वर गूंजने लगता हैं बम बम भोले का शंखनाद लगातार आपको हर मंदिर में देखने को मिल सकता है। भगवान शिव अपने भक्तों की पूजा से बहुत जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। अपनी कुछ विशेष मनोकामनाआें की पूर्ति करना चाहते हैं तो उनके आराध्य भगवान नारायण को प्रश्न करना ना भूले शिवलिंग पर जल चढ$ाते हुए आेम नम: शिवाय के साथ—साथ अगर आप जय श्री राम और जय श्री राधे के नाम से जलाभिषेक करेंगे तो आपको निश्चित रूप से वहां भोलेनाथ का दुगना आशीर्वाद मिलेगा। मुंबा देवी मंदिर महाराष्ट्र के हेमंत जाधव ने बताया कि हरिद्वार में हो रही भागवत में वे परिवार सहित पहुंचे है और शिव का रुद्राभिषेक करना सबसे शुभ उपाय है। रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं। हरिद्वार जैसी धार्मिक जगह पर आप भगवान शिव की पूजा करते हैं तो निश्चित ही आपको शिव का आशीर्वाद मिलेगा और यही कारण है कि मां गंगा किनारे धर्मनगरी हरिद्वार में हम पहुंचे हैं। कार्यक्रम के आयोजक रूद्र प्रताप त्रिपाठी, मथुरा त्रिपाठी, संतराम त्रिपाठी, गोविंदा गर्ग आचार्य, दयाशंकर मिश्रा, आचार्य अरविंद मिश्रा, आचार्य धीरज शुक्ला, आचार्य पवन शा ी त्रिपाठी, आचार्य मुकेश पांडे, आचार्य विकास त्रिपाठी, आचार्य मुकेश त्रिपाठी, आचार्य पीयूष त्रिपाठी तथा कार्यकर्ता सुदेश्वर, नवल राम, भंवरी, जुगल आदि मौजूद रहे।
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