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अंग्रेजों के समय बने गलत कानूनों में संशोधन होना चाहिए : स्वामी रामदेव

छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’ का चौथा दिन

देश की सीमाओं व संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान करने वालों का ही तो हैे गौरव  स्वामी गोविन्द देव गिरि

हरिद्वार।
छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा के चौथे दिन का शुभारम्भ स्वामी रामदेव महाराज ने व्यासपीठ को प्रणाम कर किया।  स्वामी गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि युद्ध तो युद्ध होता है, यह क्षत्रिय धर्म है। देश, देश की सीमाओं व संस्कृति की रक्षा करने के लिए बलिदान करने की जब बारी आती है तो जो पीछे नहीं हटता है, उन्हीं का तो गौरव है।
उन्होंने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सभी वीर मराठे मावले थे। क्योंकि वे मावल प्रदेश से आते थे। उनकी वीरता व पराक्रम का लोहा माना जाता था। फतेह खान क्या—क्या मंसूबे लेकर आया था और पीठ पर घाव लेकर भागा। आदिलशाह ने दो आेर से शिवाजी महाराज को घेरना चाहा। एक तरफ तो युद्ध में उनके परम पराक्रमी वीर बाजी पासलकर वीरगति को प्राप्त हुए। दूसरी ओर उनके पिताश्री को आदिलशाह ने कैद कर लिया। ऐसे में भी वीर शिवाजी ने अपने क्षत्रिय धर्म को नहीं छोड़ा और वीरता व पराक्रम का परिचय देते हुए शत्रुओं से लोहा लिया।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि भारत की सभी माताएं माता जीजाबाई से प्रेरणा लेकर शिवाजी महाराज जैसे सुतों देंगी। ये वीर प्रसुता भूमि है, ऋषि भूमि है, वीर भूमि है, इसका शौर्य ऐसे ही जागता रहेगा। जीवन में एक बार भी अपनी सात्विकता से, देवत्व से, अपने राजधर्म, राष्ट्र धर्म से, अपने सनातन धर्म से नीचे नहीं आना। लाख बाधाओं, संघर्षों, चुनौतियों के बीच में शिवाजी महाराज की तरह एक योद्धा और विजेता की भांति आगे बढ$ना।
उन्होंने कहा कि आज विश्व की साम्राज्यवादी, पूंजीवादी, बाजारवादी ताकतें पूरी दुनिया पर अपना एकाधिकार करके अपने खूनी पंजों से, क्रूर पाशों से नोचाना चाहती हैं। पूरी दुनिया पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं। जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का, योगेश्वर श्री कृष्ण का, आचार्य चाणक्य, चंद्रगुप्त और शिवाजी महाराज के जीवन का दर्शन करते हैं, सबके संदर्भ में एक बात समान रूप से लागू होती है। पिछले कुछ दिनों से साम्राज्यवादी, पूंजीवादी, बाजारवादी ताकतें जिन्हें मैं कार्पोरेट माफिया, मेडिकल माफिया या फार्मा माफिया जो योग, आयुर्वेद और वेदों के ज्ञान को को सुडो साइंस कहते हैं और कहते हैं कि ये तो अज्ञान से भरे हैं, कितनी मूर्खतापूर्ण व धूर्ततापूर्ण बातें करते हैं, कहते हैं कि राम भी नहीं थे, कृष्ण भी नहीं थे, शिव भी नहीं थे, हनुमान भी नहीं थे। पता नहीं वेदों पर क्या—क्या लांछन लगाते हैं। हमारी संस्कृति व सनातन मूल्यों पर घात—प्रतिघात करते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि मुगलों ने किसको चुना। उन्होंने छोटे-छोटे गांवों के मंदिरों को नहीं अपितु बड$े प्रतिमानों को चुना। उन्होंने सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, अयोध्या, मथुरा आदि मंदिरों को चुना। वहां इन विधर्मियों ने इन मजहबी आतंकवादियों ने रिलिजियस टेरेरिस्टों और माफियाओं ने वहां मंदिरों के स्थान पर मस्जिदें बनाई थी। कुछ मुक्त हो गए, अभी कुछ और भी मुक्त होंगे। उन्होंने कहा अंग्रेजों ने जो छल—छद्म किया, वह कानून बनाकर किया। 18३५ में भारतीय शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने के लिए इण्डियन एजुकेशन एक्ट बनाया। चिकित्सा की दृष्टि से इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन बनाया, यह इण्डियन नहीं इडियट मेडिकल एसोसिएशन है। इसको हम भारतीय शिक्षा बोर्ड व पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से खत्म करेंगे। वो आजादी का राजनैतिक संघर्ष था, राजनैतिक आजादी के उस आंदोलन को खत्म करने के बाद शिक्षा, चिकित्सा, वैचारिक व सांस्तिक आजादी का उद्घोष पतंजलि योगपीठ से हो रहा है।  19४0 में ड्रग एण्ड मेजिक रेमेडिज एक्ट बना। अंग्रेजों के समय बने गलत कानूनों को खत्म करने के लिए चाहे हजारों क्रांतिकारियों को फांसी के फंदों पर लटका दिया हो, जेलों में ठूंस दिया हो, 5 लाख से ज्यादा वीर-वीरांगनाओं के बलिदान हो गए हों, वह अभियान रूका नहीं और हम उसे आगे भी जारी रखेंगे। स्वामी रामदेव का जन्म तो संघर्ष और विजय के लिए ही हुआ है। मैं अकेला इस राह का पथिक नहीं हूँ, हम सब सहधर्मी, वेदधर्मी, सनातनधर्मी व राष्ट्रधर्मी हैं। कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी एनपी सिंह, पतंजलि विश्वविद्यालय की मानवीकी संकायाध्यक्षा डा. साध्वी देवप्रिया, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति—कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश ‘भारत’ व स्वामी परमार्थदेव, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव सहित सभी शिक्षण संस्थान यथा— पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय एवं पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य व विद्यार्थीगण, पतंजलि संन्यास आश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनें तथा पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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