लक्सर।
बालावाली गांव में फर्जी वसीयत से जमीन कब्जाने के 20 वर्ष पुराने मुकदमे में न्यायालय ने छ आरोपितों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बालावाली गांव निवासी सुगनिया पत्नी अल्लाह दिया के नाम करीब 18 बीघा जमीन कागजात माल में दर्ज चली आ रही थी। उक्त जमीन की वसीयत हबीबपुर कुड़ी निवासी नूर आलम ने वर्ष 1995 में अपने नाम दर्ज करा ली थी। तथा बाद में उसने यह जमीन अविनाश को बेच दी थी। बाद में सुरेशपाल ने बताया था कि सुगनिया की 1970 में मौत हो गई थी। जबकि सुगनिया ने उक्त जमीन का बैनामा पहले ही उसके दादा रिशु के नाम कर दिया था। जबकि नूर आलम ने यह वसीयत फर्जी तरीके से अपने नाम कराई है।
सुरेश पाल ने खानपुर थाने में तहरीर देकर नूर आलम के अलावा गवाहान युसूफ, शेषराज, सतीश, अविनाश व खड़क सिंह आदि के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। यह मामला सिविल जज जेडी लक्सर की अदालत में विचाराधीन था। आरोपितों के अधिवक्ता भूप सिंह एडवोकेट ने बताया कि सुरेश पाल यह सिद्ध करने में असमर्थ रहा कि सुगनिया की मौत कब हुई थी। इसीलिए न्यायालय ने मामले को संदिग्ध मानते हुए वह साक्ष्य के अभाव में आरोपितों को दोष मुक्त कर दिया है।