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मां गंगा की धारा की तरह नितनूतन है श्रीमद्भागवत ज्ञानगंगा की धारा : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

हरिद्वार।
श्री जयराम आश्रम परिसर भगवती गंगा के पावन तट में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सान्निध्य में कथाव्यास महामण्डलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती महाराज के मुखारविन्द से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किठानिया परिवार (दिल्ली) द्वारा किया जा रहा है।
भागवत कथा शुभारम्भ के अवसर पर अवसर पर जयराम संस्थाआें के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवतमहापुराण कोई साधारण पुस्तक या ग्रन्थ नहीं अपितु गंगा की तरह साक्षात् ज्ञानगंगा की धारा है, जिस प्रकार गंगा अनादिकाल से प्रवाहित है व नित नूतन है, उसी प्रकार श्रीमद्भागवत की ज्ञानगंगा धारा भी नित नूतन है। श्रीमद्भागवत की पावन कथा का श्रवण मनन संकीर्तन हमें मोक्ष के साथ—साथ पारिवारिक उन्नति भी प्रदान करता है। जब तक धर्म परिवार में रहता है तो इसकी नींव को कोई नहीं हिला सकता, परन्तु धर्मरूपी विभीषण के घर से जाते ही पूरा परिवार बिखरकर नष्ट हो जाता है। अत: सभी को धर्म के आचरण—पथ पर चलना चाहिए, इससे सभी का इहलौकिक व पारलौकिक कल्याण होने वाला है। कथा के दौरान कथा व्यास महामण्डलेश्वर चिदम्बरानन्द सरस्वती ने कहा कि श्रीमद्भागवत तो दिव्य कल्पतरु है, यह अर्थ, धर्म, काम के साथ—साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, वत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मों से बढकर है, इसके श्रवण से धुन्धकारी जैसे पापी—प्रेतात्मा का उद्धार हो जाता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्यामसुन्दर किठानिया, शिवकुमार किठानिया, जयप्रकाश अग्रवाल, नवल किठानिया आदि सहित तथा विविध प्रान्तों से आये श्रोतागण की उपस्थिति रही।

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