हरिद्वार।
वर्तमान में हरिद्वार के व्यापारियों नेताओं प्रशासनिक अधिकारियों और आम जनता के मुंह पर एक ही शब्द है कॉरिडोर प्रशासन द्वारा सुझाया गया यह शब्द गुड फ्राइडे पर उमड़ी भीड़ से साकार होना अति आवश्यक हो चला है हालांकि शहर के अतिक्रमण कारी व्यापारियों के लिए यह जहर देने वाला साबित होगा परंतु कुछ अच्छा करने के लिए इस तरीके के विवाद रंगे हटाए जाने भी आवश्यक हैं व्यापार मंडल के पदाधिकारी कॉरिड शब्द के साथ अपने अधिकारों के रोने तो रो रहे हैं परंतु वही व्यापारियों द्वारा बाजारों में किए गए अवैध अतिक्रमण उन्हें दिखाई नहीं देते मोती बाजार बड़ा बाजार जिनमें काफी स्पेस था
आज सुकड़ कर 5 फुट का रास्ता बन गया है यदि एक तरफ से रिक्शा आ जाए और दूसरी सबसे मोटरसाइकिल तो उन्हें निकलने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है व्यापारी अपने गिरेबान में झांक के बिना पुराणिक ताका रोना रोकर शहर में हो रहे डेवलपमेंट में अड़ंगा पैदा करने में लगे हैं यहां सरकार को ऊंचे राजनेताओं से अलग हट मजबूत इरादे वाले अधिकारियों को भेजकर हर की पौड़ी क्षेत्र को बेहतरीन बनाने के लिए कार्य किया जाना चाहिए।
इनवा व्यापारियों और धर्म के ठेकेदारों को भी यह समझना चाहिए कि तुम्हारी जो भी इनकम है उसका स्रोत मात्र और मात्र हर की पौड़ी ही है परंतु अपने स्वार्थ वशीभूत होकर बड़े-बड़े आश्रम और धर्मशाला ओं को कब्जा कर होटल तो बना लिए गए परंतु वह स्थान जिसकी और श्रद्धालु यात्री खींचे आते हैं उसको सीमित कर दिया गया।
प्रत्येक सप्ताह अंत में शहर में बाहर से आने वाले यात्रियों के वाहनों से जाम लग जाते हैं और उनके शहर में आने से भी भीड़ बढ़ जाती है इन सब चुनौतियों से बचाव के लिए बिना किसी राजनीतिक दबाव के कॉरिडोर पूरे स्वस्थ मानसिकता के साथ बनाया जाना अति आवश्यक प्रतीत होता है।