-अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलीभगत कर शासन की आंखों में झोंकी धूल
पालिका संविधान के अनुसार नगर पालिकाओं नगर पंचायत में अध्यक्ष/ चैयरमेन के हस्ताक्षर के बिना कोई बिल, टेन्डर पास ही नहीं हो सकता हालांकि सूत्र बताते हैं कि इसके लिए बोर्ड की बैठक होना आवश्यक है बताया जा रहा है की अध्यक्ष के द्वारा बोर्ड को दरकिनार करते हुए एक भी बोर्ड बैठक में किसी प्रस्ताव को पास कराई बगैर ही सारे टेंडर अपने चाहते मुस्लिम ठेकेदार को आवंटित कर दिए गए।
हरिद्वार।
जहां एक तरफ हरिद्वार में नगर निकाय चुनाव की तैयारी तेज होती जा रही है। पालिका के प्रथम अध्यक्ष पर जहां विश्वास जताते हुए दोबारा टिकट का मौका मिला है वही उनके कार्यकाल में हुए घोटाले की फेहरिस्त खुलनी शुरू हो गई है। हालांकि पालिका अध्यक्ष राजीव शर्मा ने किसी भी भ्रस्टाचार होने की बात को फर्जी करार दिया है, लेकिन आरटीआई द्वारा प्राप्त की गई जानकारियां बड़े घोटाले होने की ओर इशारा कर रही है।
शिवालिक नगर पालिका परिषद में हुए करोडो के घोटाले का मामला सामने आया है। आरटीआई में खुलासा हुआ है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत से हाउस कीपिंग सफाई के टेंडर में गडबड झाला करते हुए शासन की आंखों में धूल झोंककर करोडो रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया गया। जिसको लेकर तमाम सवाल खडे हो रहे हैं। अब देखने वाली बात है कि क्या शासन और प्रशासन इस मामले में जांच बैठाकर कार्रवाई करेगा या फिर इस इस मामले को दबा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 के कुंभ मेले में नगर पालिका परिषद द्वारा किए गए हाऊस कीपिंग सफाई के टेंडरों के बिल फर्जी तरह से उत्तराखंड शासन से पास कराकर करोडो रूपये का गबन किया गया है। जिसका खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अधिनियम के अंतर्गत किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार ने शिवालिक नगर पालिका परिषद में हुए करोडो के घोटाले के सबूत उपलब्ध कराए। जिसमें नगर पालिका परिषद द्वारा एक अखबार का जिक्र करते हुए कहा कि हमने एक अखबार को जारी किए गए टेंडर की प्रतिलिपि छापने के लिए कहा था। जिस अखबार का शिवालिक नगर पालिका परिषद ने जिक्र किया उस अखबार की मात्र एक कापी में ही टेंडर की प्रतिलिपि छापी गई। इसमें ठेकेदार व कुछ संबंधित अधिकारियों की मिली भगत से शासन से करोडो रूपये के बिल पास कराए गए, जब उसी अखबार की कापी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना विभाग देहरादून से प्राप्त की गई तो ज्ञात हुआ की पूरे उत्तराखंड में वितरण किए गए उसी अखबार की किसी भी कपी में टेंडर की प्रतिलिपि नहीं छापी गई। जिसमें एक अखबार द्वारा भ्रष्टाचारियों का साथ देते हुए अधिकारियों व ठेकेदारों की मिली भगत से फर्जी टेंडर छापकर उत्तराखंड शासन की आंखों में धूल झोंकते हुए करोडो रुपए के बिल पास कराए गए। प्रकरण की शिकायत उच्च अधिकारियों को भी की गई। जिसमें उच्च अधिकारियों द्वारा टीम गठित कर जांच करने का आश्वासन दिया गया। मगर करोडो के घोटाले के ठोस सबूत उच्च अधिकारियों के हाथ लगने पर भी उच्च अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही न करना अपने आप में एक सवालिया निशान खडे कर रहा है।
वहीं जब इस संबंध में तत्कालीन पालिका अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एसा कोई घोटाला उनके संज्ञान में नही है। न ही एसा कोई मामला हुआ है अभी टैण्डर नियमानुसार किये गये थे।
कुछ दिन पूर्व भी एक आर टीआई कार्यकर्ता द्वारा पालिका के पूर्व अधिशासी अधिकारी के कार्यकाल में सफाई मजदूरों के किये गए टेंडर के मस्टरोल में भारी अनिमयत्ता पाई गई थी।
शिवालिकनगर नगर पालिका में कुम्भ मेला 2२1 में सफाई कर्मचारियों को किये गए भुगतान के साक्ष्य शासन द्वारा बार बार मांगे जाने के बावजूद भी उपलब्ध नही कराए जा सकेे । शासन द्वारा तत्कालीन पालिका अध्यक्ष को निर्देशित करने के दो वर्ष बीतने के बाद भी अध्यक्ष द्वारा कोई कार्रवाई नही की गई। जिसके चलते श्रमिकों के हक के पैसे में बडी बंदरबांट की आशंका से गुरेज नही है।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकास तिवारी पुत्र अवधेश तिवारी ने सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल पर की गई। शिकायत के संदर्भ में उत्तराखंड शासन शहरी विकास अनुभाग से मिली जानकारी में बताया गया कि कुम्भ मेला 2021 में सफाई कर्मचारियों को लेकर मांगी गई सूचना में सत्यापित मस्टरोल उपलब्ध कराया गया। जबकि मिलान के लिए अन्य कोई दस्तावेज जिसमें कर्मचारियों की बैंक डिटेल जिसमे श्रमिकों का भुगतान उनके खाते में किया गया हो उपलब्ध नही करायी। कुल 34 श्रमिक मस्टरोल के ईपीएफ के ईसीआर से मिलान में अंकित नही पाए गए। उक्त जांच आख्या के क्रम में शासन के पत्र द्वारा तत्कालीन अधिशासी अधिकारी नगर पालिका शिवालिक बलविंदर सिंह तथा सफाई निरीक्षक नगर निगम देहरादून को कारण बताआे नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर अपना लिखित अभिकथन उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिये गए थे। जो उनके द्वारा उपलब्ध कराया गया।
जिसके बाद पुन: शासन द्वारा कुंभ मेला 2021 के अंतर्गत नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर में सफाई व्यवस्था में अनियमितता के संबंध में नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर में मैनपावर के रूप में कार्यरत श्रमिकों के ईपीएफ एवं ईसीआईसी इत्यादि की धनराशि के जमा अंतरण की पुष्टि करते हुए सुस्पष्ट संस्तुति सहित आख्या तत्काल शासन को उपलब्ध कराए जाने हेतु निर्देशित किया गया। शासन के उक्त निर्देशों के अनुपालन में उपमेला अधिकारी कुंभ मेला हरिद्वार ने अवगत कराया गया कि अस्सिटेंट पीएफ कमिश्नर ने अपने पत्र में तथा क्षेत्रीय निदेशक राजस्व क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद गुजरात के द्वारा मेल आईडी द्वारा उपलब्ध कराई गई। आख्या शासन को उपलब्ध कराई गई पुन: उक्त आख्या स्पष्ट न होने के दृष्टिगत शासन द्वारा 13 मई 2022 के द्वारा कुंभ मेला 2021 के अंतर्गत नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर की सफाई व्यवस्था में कार्यरत श्रमिकों का इपीएफ तथा ईसीआई सी का अंतरण हुआ है अथवा नहीं के संबंध में सुस्पष्ट आख्या उपलब्ध कराए जाने हेतु उपमेला अधिकारी कुंभ मेला 2021 को निर्देशित किया गया। इसके बाद अधिशासी अधिकारी नगर पालिका शिवालिक नगर द्वारा आख्या उपलब्ध कराई गई, जिसमें उल्लेख किया गया कि 22 श्रमिकों का नाम इपीएफ के ईसीआर तथा 56 श्रमिकों के नाम ईसीआईसी में अंकित नहीं पाए गए। उपमेला अधिकारी कुंभ मेला 2021 द्वारा 3 मार्च 2022 को उपलब्ध कराई गई आख्या पर सम्यक विचारों उपरांत आदेश दिया गया कि जिन श्रमिकों के इपीएफ तथा ईसीआरसी इत्यादि की धनराशि का अंतरण नहीं हुआ है। संबंधित फार्म से वसूल किए जाने हेतु मेला अधिकारी को मेल 2021 एवं अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद शिवालिक नगर को निर्देशित किया गया था कि उक्त धनराशि का अंतरण नहीं किए जाने पर संबंधित फर्म को भविष्य के कुंभ शहरी विकास विभाग के कार्यों हेतु ब्लैक लिस्ट किए जाने के लिए मेला अधिकारी कुंभ मेला हरिद्वार तथा निदेशक शहरी विकास निदेशालय के स्तर से अग्रेषित कार्यवाही के निर्देश दिए गए। अनियमितता के उत्तरदाई पूर्व अधिशासी अधिकारी बलविंदर सिंह के विरुद्ध संबंधित निकाय के अध्यक्ष के माध्यम से नियम अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने हेतु शहरी विकास निदेशालय के निदेशक को भी निर्देशित किया गया। बावजूद इसके तत्कालीन शिवालिक नगर पालिका परिषद नियुक्ति अध्यक्ष ने भी मामले में लापरवाही करते हुए आज तक भी कोई करवाई इस पर नहीं गई। पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं भारी धनराशि के घोटाले की बू आ रही है।