हरिद्वार।
आज विश्व धर्म संसद के दूसरे दिन सभी भारत के अलग अलग प्रान्तों से उपस्थित हुए संतो और प्रबुद्ध नागरिकों ने एक स्वर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दुआे की रक्षा के लिये अविलम्ब सैन्य कार्यवाही करके बांग्लादेश व पाकिस्तान का बंटवारा करके हिन्दुआे के लिये अलग राष्ट्र बनवाने की अपील की। उपस्थित जनसमुदाय ने समवेत स्वर में कहा कि अब नरेंद्र मोदी अगर स्वयं को हिन्दुआें का नेता मानते हैं तो उन्हें इसका प्रणाम देना होगा। यदि वो एेसा नहीं करते तो यह हिन्दू समाज से विश्वाघात होगा। आज माया देवी मंदिर, श्रीपंचदशनाम जूना अखाड$े के प्रांगण में विश्व धर्म संसद के दूसरे दिन सभी वक्ताआें ने उत्तराखंड सरकार के भ्रष्ट, निरंकुश और धर्मविरोधी आधिकारियों के प्रति गहन आक्रोश व्यक्त किया। आज भैरव घाट पर माँ बगलामुखी व महादेव के महायज्ञ स्थल से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने महायज्ञ की पूर्णाहुति पर विश्व धर्म संसद में व्यवधान डालने वाले अधिकारियों और उनके राजनैतिक संरक्षकों के सर्वनाश के लिये नारियल समर्पित करने का संकल्प लिया।
उन्होंने विश्व धर्म संसद में भारत के कोने कोने से आये हुए अपने साथियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम हिन्दुआें की दुर्गति का सबसे बड$ा कारण हमारा अपना कोई देश ना होना है। अब विश्व धर्म संसद का सबसे प्रमुख लक्ष्य सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना रहेगा। सनातन वैदिक राष्ट्र में एक भी मस्जिद, एक भी मदरसा और एक भी जिहादी नहीं होगा। सनातन वैदिक राष्ट्र सम्पूर्ण विश्व के प्रत्येक सनातनी का संरक्षण उसी तरह करेगा जैसे इजरायल प्रत्येक यहूदी का करता है। अगर हम सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना करने में असफल हो गए तो सनातन धर्म का विनाश कोई नहीं रोक सकेगा। अब दुनिया के हर हिन्दू को इस लक्ष्य के लिए कार्य करना चाहिए। विश्व धर्म संसद को सम्बोधित करते हुए अयोध्या हनुमान गढ$ी के श्रीमहंत राजू दास ने निरंकुश अधिकारियों द्वारा विश्व धर्म संसद रोके जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म के अपमान की पराकाष्ठा है। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड$े के मुख्यालय में घुसकर विश्व धर्म संसद को उजाड$ना यह दर्शाता है कि अब सनातन धर्म अधिकारियों के लिये मजाक का विषय बन चुका है। उत्तराखंड देव भूमि है, यहां के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को इस घटना का संज्ञान लेकर इन निर्लज्ज अधिकारियों पर कार्यवाही करें। विश्व धर्म संसद को सम्बोधित करते हुए कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे धर्मगुरु अपनी शक्ति को भूल गए हैं और उन्होंने स्वयं को राजनेता के समक्ष नतमस्तक कर लिया है। सत्य तो ये है कि सनातन धर्म का अस्तित्व तभी बच सकता है जबकि सनातन धर्म के धर्मगुरु धर्मसत्ता को राजसत्ता का अनुगामी नहीं बल्कि उसका मार्गदर्शक बनायेंगे।