हरिद्वार।
केन्द्र व राज्य सरकारो द्वारा टीबी उन्मूलन के लिए अन्तराष्ट्रीय सहयोग पर विभिन्न योजनायें चलाई जा रही है। लगभग हर जिले में टीबी मरीजो के लिए स्पेश्ल सैटर खोले गये है जिनकी मॉनिटरिग सीधे स्तर पर सीएमओ द्वारा की जा रही है। लेकिन इसे नियति कहें या मरीजो का दुर्भाग्य जिन पर चुनावों को लेकर जारी आदर्श आचार संहिता भारी पड रही है। नि:क्षय भारत की योजना धरती चाटती हुई नजर आ रही है।
नि:क्षय भारत योजना के तहत देश भर में टीबी उन्मूलन अभियान चल रहा है जिसके तहत न केवल टीबी मरीजो को जिला सैटरो से दवा मुफत दी जाने के दावे किये जा रहे है बल्कि पोषण आहार के लिए 500/- रूपये प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे डालने का प्रावधान है। लेकिन मरीजो का दुर्भागय है कि चुनावो में जन सुविधाओ के स्वास्थ् व अन्य योजनाओ के दावे करने वाली सरकारो ने ही इस बात को पूर्व में ध्यान रखकर न तो मरीजो की दवाओ के लिए फंड जारी किया न ही पोषण आहार के लिए पैसा, हालात यह है कि जिला क्षय रोग चिकित्सालय में भी मरीजो के लिए दवाए उपलब्ध नही है। जाहिर है कि एसे में विभिन्न चिकित्सालयो में पंजीकृत टीबी मरीजो के लिए दवाए मयस्सर नही हो पा रही है। बेचारे मरीज या तो बिना दवा के घर पर दवा का इंतजार कर रहे है या महंगे दामो पर डाक्टरो द्वारा लिखि गई दवाए मेडिकल स्टोर से लेने के लिए मजबूर है। टीबी सैटरो का कहना है कि ऊपर से ही दवाए नही आ रही है। तो हम अन्य चिकित्सालयो को कैसे यह दवाए दे सकते है। बहरहाल यह कहना है कि आपात कालीन स्थिति को देखते हुए डिमांड भेजी जा रही है लेकिन आचार संहिता के कारण यह सब मुश्किल हो रहा है। रही बात पोषण आहार की तो कई कई महीने का इलाज कराने के बाद भी मरीजो के खाते में कोई पैसा नही पहुंच रहा है। ऐसे ही एक मरीज के बारे में बात करने पर चिकित्सा विभाग की प्रतिक्रिया कुछ यूूं रही..
कुछ कारणो से वास्तव में टीबी की दवा नही हो पा रही है। आचार संहिता के चलते नये टैण्डर भी नही हो सके है। जिस वजह से टीबी सैटरो पर दवा की भारी किल्लत हो गई है। फिर भी हमने स्पेशल डिमांड पर पौडी व अन्य जगहों से टीबी की दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किये है। संभवत जल्द ही टीबी मरीजो को आसानी से दवा मिलनी शुरू हो जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनीष दत्त।
मरीजो के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है कि उन्हें दवा को लेकर कोई परेशानी न हो इसके लिए जिलाधिकारी के माध्यम से फोरी तौर पर ढाई लाख रूपये की दवाए मंगाई जा रही है। जो अभी तक रजिस्टर्ड मरीजो के हिसाब सक केवल पांच दिन का ही कोटा होगा। लेकिन स्पेशल डिमांड भेजी गई है। जो संभवत: जल्द ही स्वीकार हो जाएगी।
डा. अवनीश टीबी अस्पताल हरिद्वार।
एसएमजेएन पीजी कालेज के प्राचार्य से संस्था द्वारा नि:क्षय योजना के बारे में पूछने पर बताया कि हमारी संस्था मरीजो को दवाए सरकारी स्तर पर ही दिलाने का प्रयास करती है। लेकिन हम प्रतिमाह पंजीकृत मरीजो के लिए नि:क्षय किट अवश्य वितरित कराते है। जिसमें मरीजो के पोषण के लिए दाले, मूंगफली के दाने व अन्य सामग्री होती है।
सुनील बत्रा प्राचार्य एसएमजेएन कालेज