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पहाड़ से पलायन रोकने को दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ने उठाया जिम्मा

हरिद्वार।
पतंजलि के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और उत्तराखंड जनजातीय निदेशालय की आेर से उत्तराखंड के आदिवासियों को पलायन से रोकने और स्वरोजगार से जोड़ने को लेकर अप्रैल 2025 में साइन हुये  एएमआेयू ने कार्यों की गति पकड ली है। इस प्रोजेक्ट का नाम ‘ट्राइबल आदि ग्राम’ रखा गया है। इसी प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में 17 हजार आदिवासी परिवार का एक-एक ब्यौरा और पूरा प्रोफाइल तैयार किया जा रहा है। प्रदेश के 64 गांवों में रहने वाले 17 हजार आदिवासियों को उनके उत्पाद के लिए बाजार उपलब्ध कराने का काम भी दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की आेर से किया जा रहा है। आदिवासी परिवारों को प्रशिक्षण से लेकर बाजार देने तक का काम ने तेज गति पकड$ ली है।
पतंजलि के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और उत्तराखंड सरकार के बीच अप्रैल 2025 में आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की आेर से प्रशिक्षित कर्मयोगियों को इस कार्य को करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड$ा। लेकिन वे अपने विश्वास पर अडिग रहे। आखिरकार दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के 50 से अधिक लोगों द्वारा जमीनी स्तर पर उतरकर आदिवासी समूह के एक-एक परिवार का डेटा बेस पूरे प्रदेश में तैयार किया जा रहा है। इसके तहत 17 हजार आदिवासी परिवारों की पहचान की गई। इसके अलावा पतंजलि अनुसंधान फाउंडेशन में मौजूद 2 से अधिक सहयोगियों ने पूरा डेटा की मॉनिटरिंग की। प्रत्येक गांव में ट्रस्ट के सहयोगियों को आदिवासी परिवार को मुख्य धारा से जोड़ने को लेकर करीब सप्ताह भर का समय लगा। आदिवासी परिवारों को विभिन्न माध्यमों से प्रशिक्षित किया गया। फिलहाल ये कार्य सतत तरीके से प्रदेश के जिलों में चल रहा है। प्रशिक्षण के बाद वे स्वरोजगार कैसे कर सकते हैं, अपना उत्पाद बनाकर उसे बाजार में कैसे बेच सकते हैं इन सब बातों की गहराई से जानकारी दी जा रही है। आदिवासी परिवारों को आर्गेनिक खेती, नेचुरल फार्मिंग, मृदा परीक्षण सहित कई तरह की जानकारी और प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा और इसमें डिजिटल सॉल्यूशन जो कि पतंजलि की सिस्टर आर्गेनाइजेशन भरुवा सोल्यूशन है, जिसकी अहम और प्रमुख भूमिका है। इसके तहत विशेष कर इसमें ‘हरित क्रांति एप्प’ जो कृषि से संबंधित सभी जानकारियां प्रदान करता है को शामिल किया गया है। ‘अन्नदाता एप्प’ जिसमें किसान और व्यापारी बिना किसी बिचौलिये के खरीद—बेच कर सकते हैं। आदिवासी बुनकरों के लिए ‘इरुला एप्प’ बनाई गई है। जो इनकी आय वृद्धि में सहायक होगी। इसके अलावा ‘सेवा सर्विस एप्प’ आदिवासी कारगर जैसे प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, नाई आदि को आनलाइन कार्य दिलाने में सहायक होगी। पूरे कार्यक्रम की खास बात यह है कि आदिवासी परिवारों से सीधे दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट कनेक्ट होकर काम कर रहा है। बता दें कि पतंजलि सेंटर फार एक्सीलेंस द्वारा वर्ष 2019 से 2021 के दौरान जनजातीय क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कार्य किया गया था। इस अवधि में आदिवासी समुदायों के घरों का जियो—टैगिंग किया गया, वहीं पूरे क्षेत्र का बायोडायवर्सिटी मैपिंग भी संपन्न हुआ। इसके अतिरिक्त  परंपरागत चिकित्सा ज्ञान रखने वाले स्थानीय हीलर्स की पहचान कर उनका प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभावी और सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया गया। इन पहलों को क्षेत्र में जैव—संपदा संरक्षण और जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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