कॉरिडोर का मुद्दा बन सकता है भाजपा के लिए गले की फांस
-कांग्रेस ने नशे व बदहाल सड$कों पर भाजपा को घेरना किया शुरू
हरिद्वार।
टिकट बंटवारे व वरिष्ठ नेताआें के बागी हो जाने के बाद कांग्रेस में चल रहे घमासान के कारण भाजपा को भले ही मेयर सीट निकालना आसान लग रहा हो, लेकिन कॉरिडोर व बढ$ते नशे के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस ने भाजपा की राह में मुश्किलें खडी करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने भाजपा के 2 साल बेमिसाल के नारे को कटघरे में खड$ा कर नगर क्षेत्र में भाजपा व नगर विधायक की नाकामी को लेकर सवाल उठाए है। कॉरिडोर योजना को जहां भाजपा ने विकास का मुद्दा बताया था वही अब यह मुद्दा नगर निकाय चुनाव में भाजपा के लिए रास्ते का कांटा बनता नजर आ रहा है। जो कि भाजपा मेयर प्रत्याशी के लिए चिंता की बात है और कांग्रेस इस मुद्दे को उठा कर व्यापारियों को लुभाने में लग गई है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर हरिद्वार में भी कॉरिडोर की कागजी कार्रवाई तेज गति से चल रही है। कॉरिडोर के तहत देवपुरा चौक से भारत माता मंदिर तक सूरत बदल जाएगी। सरकार पहले इस मामले पर थोड$ी खामोश थी, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने बयानों में कई दफा गोलमोल तरह यह स्प्ष्ट कर चुके है कि हरिद्वार में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर ही कॉरिडोर बनेगा। साल 2२६ तक हरिद्वार के कॉरिडोर का काम पूरा करने की कवायद चल रही है। जिसको लेकर यहां के व्यापारियों में विरोध और नाराजगी है। वहीं अब कांग्रेस निकाय चुनाव में इस मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठा रही है। जो कि उनके लिए फायदेमंद भी साबित हो सकता है। कांग्रेस ने कॉरिडोर के मुद्दे को उठाकर व्यापारियों का भारी समर्थन भी हासिल कर लिया है। जिस मुद्दे को भाजपा सरकार ने विकास का नाम दिया था वह मुद्दा नगर निकाय चुनाव में उनके लिए गले की फांस बन रहा है। यही नही कांग्रेस ने नगर विधायक पर तंज कसते हुए नगर क्षेत्र में बढ$ते नशे व बदहाल सड$को पर भी सवाल खड$े किए है। यहां तक कि उन्होंने मदन कौशिक को सीएम पुष्कर सिंह धामी से कॉरिडोर न बनने की घोषणा कराने की चुनौती दी है। जिसके चलते अब भाजपा का मेयर सीट निकालना मुश्किल हो सकता है। अब तक जहां एक आेर कांग्रेस में बगावत के चलते घमासान मचा हुआ था वही अब कॉरिडोर योजना के कारण व्यापारियों की नाराजगी भाजपा का गेम बिगाड$ सकती है। वहीं खास बात यह भी है कि कारीडोर का मुद्दा भाजपा या कांग्रेस की सियासी जमीन का फैसला भी कर सकता है, क्योंकि यदि भाजपा मेयर पद हासिल करने में कामयाब होती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कारीडोर को लेकर व्यापारी वर्ग में कोई रोष नहीं है, लेकिन यदि कांग्रेस का यह मुद्दा कारीडोर प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का मतदान रुझान बदल पाया तो मुश्किल होना है