उत्तराखंड की तीन लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित किए, हरिद्वार से कौन- कौन होगा प्रत्याशी
हरिद्वार।
कांग्रेस ने उत्तराखंड की तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। टिहरी गढ़वाल सीट से पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पौड़ी सीट से गणेश गोदियाल और अल्मोड़ा से पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा पर दांव खेला गया है।
पौड़ी गढ़वाल सीट पर पूर्व पार्टी अध्यक्ष गणेश गोदियाल, बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला के अलावा पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के नाम पर मंथन किया जा रहा था। पार्टी हाईकमान ने गणेश गोदियाल के चेहरे पर दांव खेला है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से हाथ खड़े कर दिए थे। कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी में लोकसभा सीट के समीकरणों, टक्कर देने वाले उम्मीदवार, स्थानीय मुद्दों और हालात पर चर्चा की गई थी। उधर, संगठन स्तर पर सभी सीटों पर दावेदारों के लिए सर्वे कराया गया। सर्वे पूरा होने के बाद स्क्रीनिंग समिति की दूसरी बैठक बुलाई गई, जिसमें से हर लोकसभा के लिए दावेदारों के तीन से पांच नामों का पैनल तैयार करके केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया। प्रत्याशियों पर लंबा मंथन करने के बाद आज मंगलवार को पार्टी ने उम्मीदवारों को घोषणा की।
हरिद्वार लोकसभा सीट से दोनों बड़े राजनेतिक दलो ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले है, राजनेतिक गलियारों में दोनों तरफ ने कई नामो को लेकर सुगबुगाहट है, माना जाये तो नेताओ से अधिक उनके समर्थक प्रचार करने में जुटे है तो कई नेताओ के नाम इतने अधिक बढे की उनके मोबाइल फ़ोन कई दिन तक शुभकामनाओ के लिए घनघनाते रहे तो कई उम्मीदवार कथित समाजसेवी, नेता लोकसभा चुनावो के करीब आने के साथ ही शहर से दिल्ली प्रस्थान कर चुके है कई के मन में लड्डू तो फूट रहे है अंदरखाने टिकट के लिए पुरजोर कार्य जारी है उम्मीद है की अगले दो तीन दिनों में नामो का खुलासा हो जायगा
भाजपा शीर्ष नेतृत्व इस बार चुनावो में नारा दिया है अबकी बार 400 पार जिसे सार्थक करने को भाजपा कोई कसर बाकि नहीं रखना चाहती है। हालाँकि हरिद्वार लोकसभा सीट से दो बार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के कद्दावर नेताओ में शुमार है। दोनों बार उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनकी पत्नी को हराकर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार उनके नाम पर क्षेत्रीय स्तर पर पार्टी में ही सहमति बनती नहीं दिख रही है, वही स्थानीय जनता भी पेराशूट प्रत्याशी को आँख बंद कर मतदान करने को तैयार नहीं है। यद्यपि भाजपा और उसके मोर्चे 10 वर्षो की उपलब्धि के साथ ही राम मंदिर मामले को मजबूत उपलब्धि के साथ ताल ठोक कर मिट्टी को सोना बनाने के विश्वास के साथ मैदान में डटी है, लेकिन दो बार के लोकसभा चुनाव मोदी लहर में जीत मानकर इस बार दांव खेलने में शंशय बरकरार है। हालांकि जानकारों का मानना है कि निशंक पर कोई शंका नही है..
यही उहापोह की स्थिति कांग्रेस में भी देखि जा सकती है उत्तराखंड में हरिद्वार लोकसभा सीट को कांग्रेस अपने अनुकूल मान कर चल रही है बीते विधानसभा चुनावो में 11 में से छह सीटो पर जीत दर्ज की थी वही भाजपा के पाले में केवल तीन सीट ही आई थी। बावजूद इसके बीते दो पंचवर्षीय योजना में विकास की गाड़ी के टायर बहुत तेजी से चले, जिले भर में सड़को ओर मूलभूत सुविधाओं को लेकर हुए कार्यो के चलते कांग्रेस भी इस लोकसभा सीट से किसी कद्दावर नेता को ही प्रत्याशी बनाना चाहेगी। कयास लगयेज रहे है कि हरीश रावत यदि चुनाव लड़ते ही तो टक्कर कांटे की होगी। लेकिन मंगलवार आ रही सूत्रो की माने तो को यशपाल आर्य के बाद अब हरदा भी चुनावो में सीधे मुकाबले से कन्नी करते दिख रहे है। जबकि हरिद्वार लोकसभा में उनके मुकाबले लोकप्रिय नेता वर्तमान सांसद भी नही है। जिस तरह से हरदा आम जनता के बीच सीधी पैठ रखते है। जबकि दूसरी ओर संगठन ही प्रधान है वाली सोच कार्य कर रही है।