हरिद्वार।
लालढांग क्षेत्र के चमरिया गांव में गीता देवी पर गमों का पहाड टूट पड़ा है। डेढ साल के अन्दर ही पति व बेटा साथ छोड कर ईश्वर के धाम चले गए। कुछ वर्षों पहले मान सिंह रावत चमरिया गांव में आकर बस गए थे। मान सिंह के परिवार में पत्नी गीता 2 पुत्र दो पुत्रियां थी। एक पुत्री की शादी उन्होंने कर दी थी। मान सिंह रावत अपना व अपने परिवार का गुजर बसर जैसे तैसे कर रहे थे। परिवार का भरण पोषण भी चल रहा था। लेकिन डेढ वर्ष पहले मानसिंह रावत अचानक जामुन तोडते हुए पेड से गिरे और ईश्वर को प्यारे हो गए । मानसिंह की अकस्मात मृत्यु से परिवार पर वज्रपात हो गया था। परिवार की आय का साधन खत्म हो चुका था। पत्नी गीता देवी जैसे तैसे कर परिवार को चला रही थी। अचानक 1 फरवरी को उनके बडे पुत्र रनजीत 3 वर्ष ने अचानक जंगल में जाकर अपने आप पर आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। गीता देवी ने परिवार के डेढ वर्ष में ही अकस्मात दो व्यक्तियों के मृत्यु से परिवार के सदस्य अपने आप को संभाल नहीं पा रहे हैं। जिससे उनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है। वही इस दयनीय स्थिति के विषय में गीता देवी के पुत्र व पुत्री ने बताया उनके लिए सामान्य जाति का होना भी एक अभिशाप बना हुआ है। क्योंकि उनके पास रहने को केवल आज भी पन्नी से बनी झोपडी हैं। जो वास्तव में आज के युग में उनकी अपने सिर ढकने के लिए मजबूरी बनी हुई है। वही जहां गांव में सरकार द्वारा कई योजनाओ से सरकारी आवास आवंटित है लेकिन इस परिवार के लिए सरकार की किसी भी योजना का इनके तक ना पहुंच ना इनके लिए अभिशाप बना हुआ है साथ ही इस परिवार का राशन कार्ड भी एपीएल बना हुआ है जिस पर इन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही फ्री राशन की सुविधा का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। परिवार जनों का कहना है डेढ वर्ष से गीता देवी की विधवा पेंशन के लिए संबंधित अधिकारियों से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें आज तक इसका भी लाभ नहीं मिला। क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि उनकी इस माली हालत से अवगत हैं। आखिर थक हार कर उनका कहना है हमारी आखिर कहीं नहीं सुनी गई जिसके बाद परिवार अपने भाग्य के भरोसे व ईश्वर के भरोसे पर चुप होकर बैठ गए थे। गीता देवी के परिवार के साथ इतना बडा अन्याय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों जिम्मेदार लोगों स्थानीय सामाजिक कार्य करता स्वयंसेवी संस्थाओ के व्यक्तियों की नजर इस परिवार पर ना पडऩा अपने आप में एक बडा विषय है। वही परिवार के सदस्यों ने बताया 2 फरवरी को जैसे ही हादसे की खबर पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद को पता चली तो वह तुरंत ही पीडित परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे तथा उन्होंने घर पहुंच कर पीडित परिवार को सांत्वना दी तथा हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया। वही परिवार का कहना है उन्हें अब केवल पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद जी के द्वारा मिले आश्वासन पर पूरा भरोसा है जिससे उन्हें अब उम्मीद की किरण उजागर होती दिख रही है।