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दानू को आखिरी विदाई, शमशान की खामोशी भी हो गई खामोश

हरिद्वार।
मंगलवार को हरिद्वार के खड$खड$ी घाट पर सूबेदार मेजर जय सिंह दानू का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर उपस्थित जनों ने अमर शहीद को अश्रुपूर्ण विदाई दी। अंतिम संस्कार के वक्त शमशान की खामोशी भी मानों खामोश रह कर उत्तराखंड के इस वीर जवान की शहादत पर आंसू बहा रही थी।
बताते चलें कि पूर्वाेत्तर से लेकर कश्मीर तक व श्रीलंका से लेकर दक्षिण अमेरिका के हैली तक अपने शौर्य का परिचय देने वाले व भारतीय सेना का नाम रौशन करने वालेसूबेदार मेजर जयसिंह दानू ने 39 साल आठ महीने भारतीय सेना में अपनी अदम्य साहस की कहानी खुद लिखी। सीमांत गांव हिमली—देवाल निवासी दानू को दुर्भाग्य से कैंसर हो गया था। इस दौरान दानू को बचाने का भारत सरकार व सेन्य विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किया गया , लेकिन रविवार को वे कोलकाता के एक अस्पताल में मौत से जिन्दगी की जंग हार गए। 23 असम राईफल के इस वीर जवान की मृत्यु पर जहां पूरे परिवार में कोहराम मच गया था वहीं जिस किसी को भी दानू की मृत्यु के बारे में पता चला उसकी आंखें नम हो गई। मंगलवार करीब 1१ बजे शहीद दानू का तिरंगे में लिपटा शव खडख़ड़ी शमशान पर पहुंचा। कुछ लोग सिसक-सिसक कर रोने लगे तो काफी उपस्थित लोग नम आंखों को पौंछते नजर आए। सूबेदार मेजर को अंतिम विदाई देने के लिए सैनिक टुकड$ी ने मार्मिक धुन बजाई तो श्मशान की खामोशी भी मानों खामोश हो गई। सैन्य अधिकारियों कर्मचारियों ने नम आंखों से अपने साथी को अंतिम विदाई दी। विदाई समारोह में थल सेना अध्यक्ष सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की आेर से उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किए गए।  इस मौके पर असम राइफल पूर्व सैनिक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सूबेदार मेजर बलवंत सिंह पटाकी, सूबेदार मेजर आनरेरी कैप्टन हरचंद सिंह दान, सूबेदार मेजर का आनरेरी कैप्टन हीरा सिंह दानू सहित सैकड$ों की संख्या में पूर्व सैनिक, स्वर्गीय जय सिंह दानू के रिश्ते दार, सगे संबधी व राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

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