हरिद्वार।
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी विकास तिवारी ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित कर कूम्भ मेला 2021 में विशनपूर कुण्डी से कटारपुर चौक तक बनाए गये मार्ग में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
अपने शिकायती पत्र में आरटीआई एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी विकास तिवारी ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त दस्तावेजों में कुम्भ मेला के दौरान बिशनपुर कुण्डी से कटारपुर चौक तक पेशवाई मार्ग का निर्माण जिसमें 3 किलोमीटर की मिक्स सडक(टाइल्स एवं ब्लैक टाप) का सडक निर्माण प्रस्तावित था। बताया कि इस कार्य के लिए 199.75 ( एक करोड निन्यानवे लाख पिचहत्तर हजार) रूपये का बजट भी पास किया गया था। आरोप लगाया कि मार्ग निर्माण के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है। एक ही निर्माण कार्य के लिए अलग— अलग निर्माण मदों से भुगतान किया गया है। बताया कि इसकी शिकायत मेलाधिकारी कार्यालय में भी की गयी थी। जहां से इस मामले की जांच को भ्रष्टाचार में लिप्त विभाग के अधिकारियों को ही सौंप दिया गया। जिन्होंने जांच पर कोई कार्यवाही ना करते हुए फाइल को दबा दिया।
बताया कि सरकारी धन की लूट जैसे भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इसके उपरांत प्रार्थी द्वारा इसकी शिकायत प्रधानमंत्री के पोर्टल पर भी की गयी। जहां से इसकी जांच को उत्तराखंड सरकार को अग्रसरित कर दिया गया। उन्होंने पुन: जांच को उसी विभाग को सौंप दिया। विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा दोषी अधिकारियों के भ्रष्टाचार को छुपाने व बचाने की नियत से लीपापोती कर बंद कर दिया गया। श्री तिवारी द्वारा अपने शिकायती पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माण कम व घटिया क्वालिटी का किया गया है, जिसको स्वयं जांच अधिकारी द्वारा जांच आदेश के जवाब में दाखिल पत्र में अपनी जांच आख्या में दिए पत्र में स्वीकार किया गया है। बताया कि उनके द्वारा स्वीकृत सडक की लम्बाई 3 किमी के सापेक्ष 2.95 किमी सडक का निर्माण किया गया है। पत्र में बताया कि जांच अधिकारी द्वारा की जांच में जानबूझ कर तथ्यों को नजरंदाज किया गया, व शिकायती पत्र में प्रार्थी द्वारा जांच के समय उपस्थित रहने के आग्रह करने के बावजूद कोई सूचना नहीं दी गयी। भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास किया गया है। जांच अधिकारी द्वारा दोहरे भुगतान के बिंदु को छुपा कर अपनी जांच में प्रधानमंत्री कार्यालय को भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। जांच अधिकारी द्वारा इस बिंदु को नजरन्दाज किया गया की बिना किसी की प्रशासनिक अनुमति लिए उसी सडक के 632 मीटर अतिरिक्त निर्माण कार्य को दिखा कर राज्य अतिथि गृह डाम कोठी के जीर्णाेद्धार के लिए स्वीकृत बजट से भी भुगतान किया गया है। इस प्रकार एक ही कार्य के लिए 2 अलग अलग शासनादेशों में स्वीकृत बजट से लगभग 90 लाख का अतिरिक्त भुगतान होना पाया गया है। बताया कि शिकायतकर्ता के पास इस भ्रष्टाचार से जुडे पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। जिसमें कई लोक सेवक संलिप्त है। ज्ञापन में मांग की गई है कि एक ही काम के दोहरे भुगतान किये जाने के वित्तीय घोटाले की जांच हेतु सक्षम न्यायालय में भ्रस्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ वाद दायर करने की अनुमति दर जाए।