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देहरादून/ संजना राय।
डोईवाला शुगर मिल के ईडी ने गोवंश को भी बचाने का प्रयास किया है। उन्होंने अपना सात दिन का वेतन गोमाता के नाम कर उनके चारे की व्यवस्था की है।
उल्लेखनीय है कि भानियावाला में लगभग सात सौ गोवंश पिछले 10 दिनों से भूख से बिलख रहे थे। जिसमें भूख की वजह से कुछ गोवंश की मौत भी हो चुकी है। इसी को लेकर प्रशासनिक अधिकारी व शुगर मिल के ईडी दिनेश प्रताप सिंह ने अपने सात दिन के वेतन से गोवंश के लिए चारे के रूप में भूसा व शुगर मिल से गौशाला में हरी घास भिजवाई। ताकि गोवंश को भूख से होने वाली मौत बचाया जा सके। इस दौरान शुगर मिल के प्रशासनिक अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली थी कि गोवंश पिछले 10 दिनों से भूख से बिलख रहे हैं। और उनके पास चारे की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते उन्होंने शुगर मिल में गन्ना बांधने वाली हरी घास के ट्रैक्टर भरकर गौशाला में भिजवाए हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने सात दिन के वेतन से भूसे (चारा) की व्यवस्था कराई है। ताकि भूख से बिलखते गोवंश को बचाया जा सके। इसी को लेकर शुगर मिल के प्रशासनिक अधिकारी की आमजन ने जमकर सराहना की है। उन्होंने गौशाला के लिए अपना वेतन देकर जो दरियादिली दिखाई है, वह एक सराहनीय कदम है।
दुःख का विषय है कि प्रदेश और देश की हिंदूवादी डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद लावारिस गोवंशियो को रखने के लिए बनाई गोशाला में गोमाता 10 दिन से भूखी तड़फ रही जिनमे से कुछ ने भूख से अपनी जान गंवा दी। पर किसी बजरंगी, विहिप, वाहिनी, परिषद, संघ के कार्यकर्ताओं का दिन नही पसीजा कोई भी चपासी नेता एक मुठी हरा चारा लेकर उस गोशाला में खिलाने नही गया।
हम दिनेश प्रताप सिंह जैसे भक्तो का साधुवाद करते है।
हरिद्वार में ब्लैक मनी को वाइट में कन्वर्ट करने के नाम पर आश्रमों में गोशाला के नाम पर दूध की डेरिया संचालित की जा रही है। गोसेवा के नाम पर दिल और हलक फाड़ कर मंचो पर रोने वाले असंत जब गोसेवा के नाम पर एकत्र किए दान की लगजरी कार से निकलते है तो उन्हें सड़क किनारे जख्मी पड़ी गो माता नही दिखती, केवल मंचो के सामने दान देने वाले श्रढुलू बैल ही दिखते है जिन्हें पोष कर गोसेवा के नाम पर मोटा दान लिया जाता है।
धिक्कार है ऐसे अ-संतो पर, जो केवल राजनीति के क्षेत्र में अपने नंबर बढाने के उद्देश्य से दिखावे के लिए बंदरबांट कर रहे।