हरिद्वार।
हाई कोर्ट नैनीताल के अधिवक्ता ललित मिगलानी से जानते है क्या है मानवाधिकार ओर क्या है इसके कानूनी पहलू।
मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो मानव व्यवहार से सम्बन्धित कुछ निश्चित मानक स्थापित करता है। ये मानवाधिकार स्थानीय तथा अन्तरराष्ट्रीय कानूनों द्वारा नियमित रूप से रक्षित होते हैं। ये अधिकार प्रायः ऐसे ‘आधारभूत अधिकार’ हैं जिन्हें प्रायः ‘न छीने जाने योग्य’ माना जाता है और यह भी माना जाता है कि ये अधिकार किसी व्यक्ति के जन्मजात अधिकार हैं।
भारतीय कानूनों में मानवाधिकार के कोन कोन से प्रावधान है।
भारतीय संविधान में मानवाधिकारों के कई प्रावधानों को शामिल किया गया है।
मौलिक अधिकारों का भाग III अनुच्छेद 14 से 32 तक।
संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता के अधिकार की गारंटी देते हैं।
अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है और अनुच्छेद 21 जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
सम्मान से जीने का अधिकार क्या होता है।:
हाथ से मैला ढोना एक गंभीर चिंता का विषय है। भारत सरकार ने इसके समाधान के लिये कई नीतियाँ बनाई हैं, लेकिन अब तक कुछ क्षेत्रों में मैला ढोने के मामले देखे जा रहे हैं।
आदिवासियों के मानवाधिकारों से समझौता तब किया जाता है जब उन्हें पशुओं के संरक्षण हेतु संरक्षित क्षेत्र से विस्थापित किया जाता है।
स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के तहत आता है। शहरीकरण और औद्योगीकरण की वजह से प्रदूषण में वृद्धि के कारण मानव अधिकारों का लगातार उल्लंघन हुआ है।
महिलाओं के मानवाधिकार क्या होता है।:
हमारे समाज में महिलाओं को कमज़ोर माना जाता है और अक्सर उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा जाता है। उन्हें समाज में हिंसा का शिकार होना पड़ता है चाहे वह घर की चार दीवारी के भीतर हों या कार्यस्थल पर।
कैदियों के अधिकार क्या है।
जबरन श्रम, शारीरिक शोषण/यातना, पुलिस द्वारा शक्ति का दुरुपयोग, अमानवीय व्यवहार, हिरासत में बलात्कार, भोजन की खराब गुणवत्ता, पानी की व्यवस्था की कमी और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नोट किये गए अन्य मुद्दों सहित कैदियों के सबसे मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन।
हाल के दिनों में भारत का सर्वोच्च न्यायालय कैदियों के मानवाधिकारों के अतिक्रमण के खिलाफ बहुत सतर्क रहा है।
मानवाधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
मानवाधिकार किसी व्यक्ति को दुर्व्यवहार या भेदभाव से बचाता हैं क्योंकि सभी को शारीरिक और बौद्धिक रूप से विकसित होने का समान अवसर मिलना चाहिये।
सामाजिक अन्याय और समाज में प्रचलित बुरी प्रथाओं के खिलाफ व्यक्ति बोल सकते हैं।
मानवाधिकार गारंटी देता है कि लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं को संबोधित किया जाए।
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानवाधिकारों के माध्यम से प्रचारित की जाती है।
धार्मिक स्वतंत्रता मानव अधिकारों द्वारा संभव है।
मानव अधिकारों द्वारा सरकार की जवाबदेही के लिये एक समान मानदंड प्रदान किया जाता है।
मिगलानी ने कहा हर वो अधिकार जो आपको ओर हमको चाहिये और वही अधिकार हमारे ओर आपके द्वारा अपने स्वार्थ के लिये तोड़े जाते है जिन्हें मानवाधिकारों का हनन कहा जाता है।
ये कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जो हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने मानवाधिकारों पर बताये आगे भी इसी तरह हम मिगलानी से अन्य कानूनी बिंदुओ पर चर्चा करते रहेंगे।