उत्तराखंड

हेली एंबुलेंस सेवा में फंसा पेंच

देहरादून।

एम्स ऋषिकेश से हेली एंबुलेंस सेवा इस माह के अंत तक शुरू हो सकती है। सुरक्षा और संचालन में तकनीकी पेच केंद्रीय नागरिक उड्डयन और स्वास्थ्य मंत्रालय स्तर पर दूर किया जा रहा है। प्रदेश सरकार हेली एंबुलेंस संचालन में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी करने को तैयार है। केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एम्स ऋषिकेश से हेली एबुलेंस संचालन करने का निर्णय लिया है। इस सेवा के लिए पिनाकल एविएशन के साथ अनुबंध किया है। हेली एंबुलेंस को केंद्र और प्रदेश सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी संचालित किया जाना है। 18 अप्रैल से हेली एंबुलेंस सेवा को शुरू करने की योजना था। अभी तक सुरक्षा व संचालन प्रक्रिया में कुछ तकनीकी पेच फंसने के कारण संचालन शुरू नहीं हो पाया है। ये एंबुलेंस सिर्फ चारधाम यात्रा के लिए नहीं, बल्कि आपातकालीन और ट्रामा सेवाओं के लिए भी संचालित होगी। चारधाम यात्रा में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी से श्रद्धालुओं को अचानक हार्ट अटैक का खतरा रहता है। ऐसे में हेली एंबुलेंस से मरीजों को तत्काल एम्स ऋषिकेश पहुंचाया जा सकता है। अनुबंधित कंपनी एम्स को सिंगल इंजन वाला एक हेलीकॉप्टर मुहैया कराएगी। इसमें चिकित्सा संसाधन भी कंपनी लगाएगी। हेली एंबुलेंस संचालन का प्रबंध एम्स ऋषिकेश के अधीन होगा। मेडिकल प्रोटोकॉल के तहत इमरजेंसी में मरीजों को हेली एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध होगी।

सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार का कहना है कि हेली एंबुलेंस सेवा संचालन के लिए प्रदेश सरकार तैयार है। केंद्र व राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से एम्स ऋषिकेश से हेली एंबुलेंस सेवा का संचालन किया जाना है। हेली एंबुलेंस पर जो भी खर्च आएगा। उसका 50 प्रतिशत राज्य सरकार को देना है। जबकि 50 प्रतिशत केंद्र सरकार देगी।

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