-कनखल में गंगा के पावन तट पर बह रही है राम कथा की सरिता
हरिद्वार।
तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि राम कथा अद्भुत और विलक्षण है। जो चिता और ङ्क्षचता दोनों दूर करती है, मनुष्य को मुक्ति प्रदान करती है इसलिए राम कथा मुक्ति और भक्ति का संगम है।
आज कनखल राजघाट में आठवें दिन गंगा तट पर राम कथा की सरिता बहाते हुए सुप्रसिद्ध कथा वाचक और देश के शीर्ष संत स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि तीर्थ नगरी हरिद्वार मोक्षदायिनी है और सप्तपुरियों में प्रमुख स्थान रखती है। जीवनदायनी और मोक्षदायिनी गंगा के कारण इस तीर्थ नगरी का अपना विशेष महत्व है। राम कथा और देश की विभिन्न पवित्र पावन नदियों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि सभी पुण्य पवित्र पावन नदियां राम कथा रूपी नदी से मिल रही हैं। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि सभी नदियां सागर से मिलती है, परंतु राम कथा रूपी नदी से स्वयं सागर मिलने आते हैं। और सागर को पार करके प्रभु श्री राम ने लंका में विजयश्री प्राप्त कर अहंकार रूपी श्रीलंका का विनाश कर सत्य को प्रतिष्ठित किया। राम कथा अहंकार का विनाश करती है। उन्होंने कहा कि इंद्र के पुत्र जयंत ने कौवा बनकर राम के रामत्व की परीक्षा लेनी चाहिए और मां सीता के श्री चरणों में चौंच मार कर रक्त प्रवाहित कर दिया तो उन्हें राम की विराट शक्ति का सामना करना पडा और क्षमा याचना करनी पडी। श्री निर्मल संतपुरा के परमाध्यक्ष महंत जगजीत सिंह महाराज ने तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को अंग व और पुष्प माला भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष पंडित प्रदीप झा, भाजपा के जिला अध्यक्ष संदीप गोयल ने श्री राम कथा का श्रवण किया। स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने श्री राम कथा की भूमिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन राघव परिवार के प्रमुख अभिनंदन गुप्ता ने किया। इस अवसर पर मुकेश गोयल, नमित गोयल, नितिन माना, अखिलेश शिवपुरी, शैलेष मोहन, वैश्य कुमार सभा के अध्यक्ष गगन गुप्ता, महामंत्री प्रदीप गुप्ता, दीपक बंसल, प्रतीक गुप्ता आदि उपस्थित थे।