हरिद्वार।
नीलधारा के नमामि गंगे घाट पर आज “गंगा उत्सव” मनाया गया। बड़े-बड़े अधिकारियों, मंत्रियों का हुजूम आया, लाल कार्पेट बिछाई गई, और स्वागत के लिए खास इंतजाम किए गए। लेकिन ये सारे आयोजन मात्र एक दिन की रौनक बन कर रह गए, जबकि हर रोज़ यही घाट गंदगी का शिकार होता है। दुख की बात यह है कि इस उत्सव में हरिद्वार की संत परंपरा को नज़रअंदाज किया गया। जिनके लिए गंगा पूज्यनीय है, उन्हें मंच पर भी स्थान नहीं मिला।
गंगा माँ की सेवा और संरक्षण को एक दिन के उत्सव में सीमित नहीं किया जा सकता। गंगा की सेहत सुधारने के लिए जरूरत है निरंतर सेवा, सच्ची निष्ठा और गंगा के प्रति आत्मीय भाव की। गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए पूरे समाज और प्रशासन का सहयोग चाहिए। स्वामी राम विशाल दास ने कहा कि एक दिन के आयोजन, तामझाम और फोटोग्राफी से गंगा की पवित्रता बहाल नहीं होगी।
गंगा हमें जीवन देती है, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इसे निरंतर संजोएं और इसकी रक्षा करें। एक दिन का उत्सव नहीं, समर्पण ही सच्ची सेवा है।