ऋषिकेश।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री असाधारण इच्छा शक्ति के धनी लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये विदेश की धरती से संदेश दिया कि स्वतंत्रता के पश्चात भारत के भविष्य को सुन्दर आकार प्रदान करने हेतु शास्त्री जी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने किसानों और जवानों के लिये ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना जागृत करने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
शास्त्री जी का कथन ‘‘हम सब को अब अपने क्षेत्रों में उसी प्रकार के समर्पण, उत्साह और संकल्प के साथ काम करना होगा जो एक योद्धा को रणभूमि में उत्साहित और लड़ने हेतु प्रेरित करता हैं। उनका ये सूत्र वाक्य हर युग और हर युवा के लिये प्रासंगिक है।
’मानव तस्करी के बारे में जागरूकता’ हेतु राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जागरूकता ही इस समस्या का समाधान है। आज का दिन मानव तस्करी पीड़ितों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही उनके अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने का संदेश देता है।
मानव तस्करी अर्थात् बल, धोखे, या जबरदस्ती के माध्यम से श्रम, घरेलू सेवा, या वाणिज्यिक यौन गतिविधि के लिए किसी अन्य व्यक्ति का शोषण है। दुर्भाग्य से, दासता सैकड़ों वर्षों से किसी न किसी रूप में समाज में मौजूद है और आज भी अनेक स्थानों पर देखा जा सकता है हालांकि कई लोग इससे अनजान हैं इसलिये इसके प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।
मानव तस्करी वर्तमान वैश्विक स्तर पर व्याप्त प्रमुख समस्याओं में से एक है। तमाम कोशिशों के बावजूद इसे रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है। यह न केवल अल्प-विकसित और विकासशील देश बल्कि विकसित राष्ट्र भी इस समस्या से अछूते नहीं है। मानव तस्करी भारत की भी प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन पूर्णतया प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि एक तो जागरूकता का अभाव दूसरा सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से भी अनेक लोग ठगी करते हैं; प्रल्लोभन देते हैं और कई लोग उसका शिकार भी हो रहे हैं इसलिये सभी प्रयास आवश्यक अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे।
भारत सरकार, देश में पीडितों की पहचान करने, अपराधियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और सजा, पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिये विशेष कार्ययोजना तैयार करने, पुनर्वास, आश्रय स्थलों और रोजगार के इंतजाम के लिये अद्भुत कार्य कर रही है परन्तु जनभागीदारी के बिना इस समस्या को समाप्त नहीं किया जा सकता। आईये मिलकर प्रयास करंे अगर आपके आस-पास किसी ऐसी घटना का आभास होता है तो उसे संज्ञान में लाना अत्यंत आवश्यक है। एक-एक व्यक्ति दस-दस तक पहंुचे तो अपने राष्ट्र को इस समस्याओं से बचाया जा सकता है।